शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय
उद्देश्य:
शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय,खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के अधीन एक सम्बद्ध कार्यालय है। वर्तमान निदेशालय का गठन पूर्ववर्ती दो निदेशालयों नामतः शर्करा निदेशालय तथा वनस्पति,वनस्पति
तेल और वसा निदेशालय का विलय करके अगस्त, 2014में किया गया था।
शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय, चीनी और खाद्य तेल क्षेत्रों,विशेषत: चीनी और खाद्य तेलों की उपलब्धता तथा उनकी कीमतों की निगरानी से संबंधित
नीतियों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है।
शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय, चीनी के उत्पादन, वितरण और उपभोग से संबंधित आंकड़े रखता है। इसके अलावा,
निदेशालय चीनी क्षेत्र से संबंधित नीतियां बनाने के लिए तकनीकी आदान उपलब्ध कराता है। इसे गन्ना उत्पादकों को चीनी मिलों द्वारा देय गन्ने के कारखाना-वार उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) का निर्धारण,गन्ना मूल्य
भुगतान स्थिति से संबंधित आंकड़ो का रख-रखाव,चीनी उद्योग का विकास और विनियमन तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत चीनी की आपूर्ति का कार्य भी सौंपा गया है। इसके अतिरिक्त, मंत्रिमंडल सचिवालय ने दिनांक 02.11.2018
की अधिसूचना के द्वारा कार्य आबंटन (एओबी) नियम, 1961
में संशोधन किया है, जिसके अनुसार शीरा;शीरे से तैयार एल्कहोल-औद्योगिक और पेय,एवं स्टैंड-अलोन डिस्टीलरी जैसे विषयों का आबंटन खाद्य और सार्वजनिक
वितरण विभाग को किया गया है और इन विषयों को शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय देख रहा है। यह निदेशालय खाद्य तेल क्षेत्र के प्रबंधन में भी विभाग की सहायता करता है।
कार्य:
अधिदेशित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय की मुख्य गतिविधियां/कार्य निम्नलिखित हैं:-
· घरेलू मांग-आपूर्ति की स्थिति,अंतर्राष्ट्रीय रुझान,
मूल्य की स्थिति का आकलन और निर्यात/आयात नीति का निर्धारण।
· गन्ने के लिए कारखाने-वार उचित और लाभकरी मूल्य (एफआरपी) का निर्धारण तथा राज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों के माध्यम से इसे लागू करना।
· नई चीनी मिलों की स्थापना के लिए न्यूनतम दूरी मानदण्ड को लागू करना।
· गन्ना क्षेत्र आरक्षण के मुद्दे जिनमें भारत सरकार के हस्तक्षेप की अपेक्षा होती है।
· राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा चीनी के पीडीएस वितरण के लिए सब्सिडी का प्रबंध करना।
· पुरानी लेवी मूल्य निर्धारण तथा खुदरा विक्रेताओं एवं थोक विक्रेताओं के मार्जिन को निर्धारित करना/अंतिम रूप देना।
· उत्पादन पूर्वानुमान के संबंध में भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ संपर्क स्थापित करना।
· नई चीनी कारखाने की स्थापना हेतु औद्योगिक उद्यमी ज्ञापन (आईईएम) से संबंधित मामले।
· दैनिक आधार पर खाद्य तेलों के घरेलू थोक बिक्री,खुदरा बिक्री और अंतर्राष्ट्रीय कीमतों की निगरानी।
· उचित कीमतों पर खाद्य तेलों की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए अपेक्षित हस्तक्षेप नीति की सिफारिश करना।
· खाद्य तेलों और तिलहन से संबंधित मामलों पर आदान उपलब्ध कराना।
· वनस्पति तेल उत्पाद उत्पादन और उपलब्धता (विनियमन) आदेश 2011 के तहत खाद्य तेल विनिर्माण इकाइयों को पंजीकृत करना और पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करना।
· चीनी उत्पादन/प्रेषण/निर्यात तथा बी-हेवी शीरे से इथनॉल के उत्पादन संबंधी आंकड़ों के लिए एक वेब आधारित ऑनलाइन निगरानी प्रणाली पी-IIका प्रचालन और रख-रखाव।
· साप्ताहिक चीनी उत्पादन आकडों का संकलन।
· चीनी के उत्पादन,प्रेषण,
स्टॉक आदि पर साप्ताहिक अनंतिम रिपोर्ट तैयार करना।
· पेराई किए गए गन्ने,चीनी के उत्पादन आदि संबंधी वार्षिक आंकड़ों का संकलन।
· राज्य सरकार/वैयक्तिक चीनी मिलों द्वारा प्रस्तुत आगामी चीनी मौसम में उत्पादन के अनुमान संबंधी आंकड़ों का संकलन।
· प्रत्येक पाक्षिक अवधि के लिए राज्य सरकार/चीनी मिलों से प्राप्त सूचना के आधार पर देय गन्ना मूल्य,भुगतान किए गए गन्ना मूल्य और गन्ना मूल्य बकायों पर पाक्षिक
तौर पर रिपोर्ट बनाना।
· चीनी मिलों को कोड संख्या और संक्षिप्त नाम का आबंटन।
· चीनी से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय करारों के मानकों का निर्धारण/समीक्षा।
· आईएसओ की सदस्यता के लिए वार्षिक अंशदान के भुगतान से संबंधित मामले।
· चीनी मिल की लंबित लेवी बाध्यता और इस संदर्भ में अदालती मामलों का रिकॉर्ड रखना।
· लेवी चीनी आपूर्ति (नियत्रंण) आदेश, 1979और चीनी मूल्य (नियत्रंण) आदेश, 2018को लागू करने तथा चीनी मिलों की स्टॉक
होल्डिंग सीमाएँ निर्धारित करने से संबंधित मामले।
शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही स्कीमें
कार्यकारी स्कीमों के रूप में सरकार द्वारा किए गए विभिन्न हस्तक्षेपों को शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय द्वारा कार्यान्वित/लागू किया जा रहा है। ऐसी स्कीमों का संक्षिप्तविवरण निम्नानुसार है:-
1. अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) परिवारों के लिए पीडीएस के माध्यम से चीनी के वितरण हेतु मौजूदा प्रणाली की समीक्षा
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा राजसहायता प्राप्त मूल्यों पर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के माध्यम से चीनी वितरित की जा रही थी जिसके लिए केंद्र सरकार उन्हें18.50
रुपये प्रति किलोग्राम की प्रतिपूर्ति कर रही थी। इस स्कीम में 2001 की जनगणना के अनुसार देश की गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की सम्पूर्ण आबादी तथा पूर्वोत्तर राज्यों/विशेष श्रेणी/पहाड़ी राज्यों और द्वीप-समूह क्षेत्रों की समस्त आबादी
कवर की जा रही थी।
सभी 36 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा अब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 का हर जगह क्रियान्वयन किया जा रहा है। एनएफएसए के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की कोई चिह्नित श्रेणी
नहीं है; तथापि,अंत्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों को स्पष्ट रूप से चिह्नित किया गया है। इस प्रकार, समाज के
सबसे गरीब वर्ग अर्थात् एएवाई परिवारों को आहार में ऊर्जा के स्रोत के रूप में चीनी के उपभोग की पहुँच प्रदान करने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि प्रति माह प्रति एएवाई परिवार को 1 कि.ग्रा. चीनी प्रदान करने के लिए एएवाई परिवार के प्रतिबंधित कवरेज के लिए
पीडीएस के माध्यम से सब्सिडी प्राप्त चीनी की आपूर्ति संबंधी मौजूदा स्कीम को जारी रखा जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने पीडीएस के माध्यम से चीनी के वितरण के लिए भागीदार राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों
की प्रतिपूर्ति के लिए18.50 रुपए प्रति कि.ग्रा. की सब्सिडी के वर्तमान स्तर को जारी रखा है।
संशोधित स्कीम में 16 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र भाग ले रहे हैं और वर्तमान वित्तीय वर्ष2019-20
के दौरान पाँच और राज्यों द्वारा इसमें भाग लेने की संभावना है। वित्तीय वर्ष2018-19 के दौरान स्कीम के तहत भागीदारराज्यों/संघ राज्य-क्षेत्रों
को 200 करोड़ रुपए की चीनी सब्सिडी की प्रतिपूर्ति की गई है।
2. चीनी मौसम 2017-18 के लिए चीनी मिलों को सहायता संबंधी स्कीम
सरकार ने "चीनी मिलों को सहायता संबंधी स्कीम”अधिसूचित की है, जिसके अंतर्गत चीनी मिलों को गन्ने
की लागत की भरपाई करने के लिए पेराई किए गए गन्ने के लिए 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की गई, जो लगभग 1540 करोड़ रुपए है। इस सहायता का उपयोग वर्तमान चीनी मौसम 2017-18 की गन्ना मूल्य
की देय राशि तथा पूर्ववर्ती चीनी मौसमों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए किया जाना है। इस सहायता का भुगतान मिल की ओर से किसानों को सीधे किया जाएगा तथा इसे किसानों को बकाया सहित गन्ना मूल्य की देय राशि के प्रति समायोजित किया जाएगा। तत्पश्चात शेष राशि,
यदि कोई हो, मिल के खाते में जमा की जाएगी।
3. चीनी मौसम 2018-19 हेतु चीनी मिलों को सहायता संबंधी स्कीम
किसानों के गन्ना मूल्य बकाया का भुगतान करने में चीनी मिलों की सहायता करने के उद्देश्य से सरकार ने गन्ने की लागत की भरपाई करने के लिए चीनी मौसम2018-19
के दौरान पेराई किए गए गन्ने के संबंध में13.88
रुपए प्रति क्विंटल की दर से चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए दिनांक 05.10.2018 को एक स्कीम अधिसूचित की है। इस संबंध में कुल व्यय लगभग4163
करोड़ रुपए होगा, जो सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। किसानों को देय गन्ना बकाया का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए यह सहायता राशि उचित और लाभकारी मूल्य के बदले किसानों को देय गन्ना बकाया राशि
के रूप में चीनी मिलों की ओर से किसानों के खाते में सीधे जमा करा दी जाएगी, जिसके साथ पिछले वर्षों और बाद की शेष राशि से संबंधित बकाया, यदि कोई हो,
तो वह भी मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी।
4. चीनी मिलों को उनके गन्ना मूल्य बकायों के निपटान हेतु सुलभ ऋण देना
सरकार ने बैंकों के माध्यम से चीनी मिलों को 10540
करोड़ रुपए की ऋण राशि देने के लिए 02.03.2019
को एक सुलभ ऋण स्कीम भी अधिसूचित की है जिसके लिए सरकार एक वर्ष के लिए7% की दर पर लगभग
738करोड़ रुपए की ब्याज सहायता वहन करेगी। इस स्कीम के अनुसार
31.05.2019
तक मंजूर और संवितरित ऋण ब्याज छूट के लिए पात्र होंगे।
5. इथनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने और संवर्धन के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देने हेतु नई स्कीम
सरकार ने इथनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने और संवर्धन के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देने हेतु08.03.2019 को एक नई स्कीम अधिसूचित की है। इस स्कीम के तहत इथनॉल उत्पादन क्षमता के संवर्धन के लिए
चीनी मिलों को बैंकों द्वारा12900 करोड़ रुपए का सांकेतिक ऋण देने के लिए सरकार 2790 करोड़ रुपए ब्याज छूट के रूप में वहन करेगी।
6. शीरा आधारित स्टैंड-अलोन डिस्टिलरियों को वित्तीय सहायता देने संबंधी स्कीम
शीरा आधारित स्टैंड-अलोन डिस्टिलरियों को वित्तीय सहायता देने के लिए सरकार ने08.03.2019
को एक स्कीम अधिसूचित की है। इस स्कीम के तहत इथनॉल उत्पादन क्षमताबढ़ाने के लिए शीरा आधारित स्टैंड-अलोन डिस्टिलरियों को बैंकों द्वारा
2600 करोड़ रुपए का सांकेतिक ऋण देने के लिए सरकार 565 करोड़ रुपए ब्याज छूट के रूप में वहन करेगी।
7. बफर स्टॉक के निर्माण एवं रखरखाव संबंधी स्कीम, 2018
घरेलू बाजार में मांग आपूर्ति संतुलन को बनाए रखने और चीनी की कीमतों को स्थिर रखने के लिए जिससे चीनी मिलों की नकदी स्थिति में सुधार करने से उन्हें किसानों के गन्ना मूल्य बकाया को समाप्त करने में सक्षम बनाया जा सके,
दिनांक 01.07.2018 से सरकार ने एक वर्ष के लिए 30 लाख टन चीनी का एक बफर स्टॉक निर्मित किया है। सरकार ऐसे बफर स्टॉक के रखरखाव के लिए चीनी मिलों को 1175 करोड़ रुपये की लागत की प्रतिपूर्ति कर रही है। यह सब्सिडी चीनी मिल द्वारा खोले गए नो-लियन बैंक खाते में जमा
की जाती है। नो-लियन खाते से बैंक द्वारा यह राशि चीनी मिलों की ओर से किसानों को देय गन्ना बकाया राशि के रूप में किसानों के खाते में सीधे जमा करा दी जाएगी, जिसके साथ पिछले वर्षों और बाद की शेष राशि से संबंधित
बकाया राशि, यदि कोई हो, तो वह भी मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी।
8. इथनॉल
उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने संबंधी स्कीम, 2018
इथनॉल के उत्पादन की क्षमता बढ़ाने तथा इस प्रकार इथनॉल के उत्पादन के लिए चीनी का प्रयोग करने की अनुमति भी प्रदान करने के लिए नई डिस्टिलरियों की स्थापना/मौजूदा डिस्टिलरियों के विस्तार तथा इंसीनरेशन बॉयलर की स्थापना अथवा जीरो लिक्विड डिस्चार्ज
के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अनुमोदित कोई अन्य विधि प्रयुक्त करने के लिए बैंकों के माध्यम से 6139 करोड़ रुपए का सुलभ ऋण प्रदान करने हेतु सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किया गया है, जिसके लिए सरकार
1332 करोड़ रुपए की ब्याज छूट का वहन करेगी। इस उपाय के परिणामस्वरूप लगभग 114 चीनी मिलों को लाभ मिलने की संभावना है और आने वाले 3 वर्षों के दौरान देश में चीनी मिलों की इथनॉल उत्पादन क्षमता 200 करोड़ लीटर प्रति वर्ष बढ़ने की संभावना है।
9. चीनी मौसम 2018-19 के दौरान निर्यात को सुगम बनाने के लिए आंतरिक परिवहन, मालभाड़े,
हैंडलिंग पर किए गए व्यय और अन्य प्रभार के भुगतान हेतु स्कीम
सरकार ने 05.10.2018 को तटीय राज्यों में स्थित मिलों के मामले में पत्तन से100
किलोमीटर के भीतर स्थित मिलों के लिए1000
रुपए प्रति टन, पत्तन से100
किलोमीटर के बाहर स्थित मिलों के लिए2500
रुपए प्रति टन और तटीय राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों में स्थित मिलों को3000
रुपए प्रति टन की दर से अथवा वास्तविक व्यय, जो भी कम हो, का भुगतान करके चीनी मिलों को सहायता प्रदान करने के लिए एक स्कीम को अधिसूचित किया
है। इस संबंध में कुल व्यय लगभग 1375करोड़ रुपए होगा, जो सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। किसानों को देय गन्ना बकाया का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए दोनों सहायता राशियां
उचित और लाभकारी मूल्य के लिए किसानों को देय गन्ना बकाया राशि के रूप में चीनी मिलों की ओर से किसानों के खाते में सीधे अंतरित कर दी जाएगी, जिसके साथ पिछले वर्षों और बाद की शेष राशि से संबंधित बकाया,
यदि कोई हो, तो वह भी मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी।
शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय में स्टाफ संख्या
दिनांक 31.03.2019की स्थिति के अनुसार शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय में स्टाफ/कार्मिकों की संख्या नीचे सूचीबद्ध की गई है:-
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