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शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय

शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय स्‍वतंत्रता-पूर्व काल के पूर्ववर्ती  खाद्य विभाग का हिस्‍सा था। 29 अगस्‍त, 1947 को खाद्य विभाग का नाम खाद्य मंत्रालय रखा गया था। नवंबर,1976 में शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय को अलग-अलग कर दिया गया था, जिसमें शर्करा निदेशालय को खाद्य विभाग के साथ जबकि वनस्‍पति, वनस्‍पति तेल और वसा आदि से संबंधित कार्य नागरिक आपूर्ति और सहकारिता मंत्रालय को हस्‍तांतरित कर दिया गया था।

 

अगस्‍त, 2014 में पूर्ववर्ती दो निदेशालय नामत: शर्करा निदेशालय और वनस्‍पति, वनस्‍पति तेल और वसा निदेशालय का एक नए संस्‍था के रूप में शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय बना दिया गया।

 

शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय चीनी और खाद्य तेल क्षेत्रों से संबंधित नीतियों के कार्यान्‍वयन विशेषत: चीनी और खाद्य तेलों की उपलब्‍धता और उनकी कीमतों की निगरानी के लिए उत्‍तरदायी है।

     

शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय चीनी के उत्‍पादन, वितरण और उपभोग से संबंधित आंकड़ें रखता है। इसके अलावा, निदेशालय चीनी क्षेत्र से संबंधित नीतियों के निर्माण के लिए तकनीकी इनपुट भी उपलब्‍ध कराता है। इसे गन्‍ना मूल्‍य भुगतान स्‍थिति से संबंधित आंकड़ें रखने, चीनी उद्योग के विकास और विनियमन तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत चीनी के वितरण का कार्य भी सौंपा गया है। इसके अलावा, दिनांक 02.11.2018 की अधिसूचना के द्वारा मंत्रिमण्‍डल सचिवालय ने बिजनेस आबंटन (एओबी) नियम, 1961 को संशोधित किया जिसके अनुसार शीरा; शीरे से औद्योगिक-एल्कोहल और पेय एल्‍कोहल तथा अकेले चल सकने योग्य (स्टैंड अलोन) डिस्टिलरी के मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग को आबंटित किए गए हैं एवं इनका संचलन शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय द्वारा किया जा रहा है। यह निदेशालय विभाग को खाद्य तेल क्षेत्र के प्रबंधन में भी सहायता करता है।


कार्य:

अधिदेशित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय की मुख्‍य गतिविधियां/कार्य निम्‍नलिखित हैं:- 

घरेलू मांग-आपूर्ति की स्थिति, अंतर्राष्‍ट्रीय रुझान, मूल्‍य की स्थिति का आकलन औरनिर्यात/आयात नीति का निर्धारण।   

गन्‍ने के लिए कारखाने-वार उचित और लाभकरी मूल्‍य (एफआरपी) का निर्धारण तथा राज्‍यों/संघ राज्‍य-क्षेत्रों के माध्‍यम से इसे लागू करना। 

नई चीनी मिलों की स्‍थापना के लिए न्‍यूनतम दूरी मानदण्‍ड को लागू करना। 

गन्‍ना क्षेत्र आरक्षण के मुद्दे जिनमें भारत सरकार के हस्तक्षेप की अपेक्षा होती है। 

राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा एएवाई परिवारों को पीडीएस के लिए चीनी सब्‍सिडी का प्रबंध करना।  

पुरानी लेवी मूल्य निर्धारण तथा खुदरा विक्रेताओं एवं थोक विक्रेताओं के मार्जिन को निर्धारित करना/अंतिम रूप देना। 

उत्‍पादन पूर्वानुमान के संबंध में भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ संपर्क स्थापित करना।  

नई चीनी कारखाने की स्‍थापना हेतु औद्योगिक उद्यमी ज्ञापन (आईईएम) से संबंधित मामले। 

खाद्य तेलों की घरेलू थोक बिक्री, खुदरा बिक्री और अंतर्राष्‍ट्रीय कीमतों की दैनिक आधार पर निगरानी। 

उचित कीमतों पर खाद्य तेलों की पर्याप्त उपलब्‍धता बनाए रखने के लिए अपेक्षित नीतिगत हस्तक्षेप की सिफारिश करना। 

खाद्य तेलों और तिलहन से संबंधित मामलों पर आंकड़े उपलब्ध कराना। 

वनस्‍पति तेल उत्‍पाद उत्‍पादन और उपलब्‍धता (विनियमन) आदेश 2011 के तहत खाद्य तेल विनिर्माण इकाइयों को पंजीकृत करना और पंजीकरण प्रमाणपत्र 

  जारी करना। 

चीनी उत्‍पादन/प्रेषण/निर्यात तथा बी-हेवी शीरे से इथनॉल के उत्‍पादन संबंधी आंकड़ों के लिए एक वेब आधारित ऑनलाइन निगरानी प्रणाली पी-II का प्रचालन और 

   रख-रखाव करना। 

साप्‍ताहिक चीनी उत्‍पादन आकडों का संकलन। 

चीनी के उत्‍पादन, प्रेषण, स्‍टॉक आदि पर साप्‍ताहिक अनंतिम रिपोर्ट तैयार करना।  

पेराई किए गए गन्ने, चीनी के उत्‍पादन आदि संबंधी वार्षिक आंकड़ों का संकलन। 

राज्‍य सरकार/अलग-अलग चीनी मिलों द्वारा प्रस्‍तुत आगामी चीनी मौसम में उत्‍पादन के अनुमान संबंधी आंकड़ों का संकलन। 

प्रत्‍येक पाक्षिक अवधि के लिए राज्‍य सरकार/चीनी मिलों से प्राप्‍त सूचना के आधार पर देय गन्‍ना मूल्य, भुगतान किए गए गन्‍ना मूल्य और गन्‍ना मूल्‍य बकायों पर पाक्षिक 

  तौर पर रिपोर्ट बनाना। 

चीनी मिलों को कोड संख्या और संक्षिप्त नाम का आबंटन। 

चीनी से संबंधित अंतर्राष्‍ट्रीय करारों के मानकों का निर्धारण/समीक्षा। 

आईएसओ की सदस्‍यता के लिए वार्षिक अंशदान के भुगतान से संबंधित मामले। 

चीनी मिल की लंबित लेवी बाध्‍यता और इस संदर्भ में अदालती मामलों का रिकॉर्ड रखना। 

लेवी चीनी आपूर्ति (नियत्रंण) आदेश, 1979 और चीनी मूल्य (नियत्रंण) आदेश, 2018 को लागू करने तथा चीनी मिलों की स्‍टॉक होल्‍डिंग सीमाएँ निर्धारित करने से 

  संबंधित मामले।

चीनी क्षेत्र में सरकार के नीतिगत हस्तक्षेप के रूप में विभिन्न स्कीमें भी शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय द्वारा कार्यान्वित और प्रशासित की जाती हैं। 

इथेनॉल के उत्पादन से संबंधित सभी मामले।

देश में इथेनॉल उत्पादन की निगरानी।

मुद्दों के समाधान के लिए चीनी मिलों, डिस्टिलरियों, उनके संघों और सरकार के बीच समन्वय।

भाग क:- चीनी

भाग ख:- तेल प्रभाग 

चीनी के मानक: 

खाद्य और कृषि प्रभाग (एफएडी-2), भारतीय मानक ब्‍यूरो (बीआईएस), की शर्करा उद्योग अनुभागीय समिति, खाद्य और कृषि प्रभाग बीआईएस के प्रमुख की सहमति से चीनी कारखानों, व्‍यापार, सरकारी संगठनों आदि द्वारा वर्ष दर वर्ष प्रयोग के लिए और चीनी एवं अन्‍य संबंधित मामलों के विभिन्‍न ग्रेडों में मूल्‍यों के अंतर की समीक्षा के लिए भी भारतीय चीनी मानकों की सिफारिश करती है।

चीनी मिलों की क्षेत्र-वार स्‍थिति

15.07.2021 की स्‍थिति के अनुसार देश में लगभग 350 लाख टन चीनी उत्‍पादन की पर्याप्‍त पेराई क्षमता के साथ 752 चीनी मिलें स्‍थापित हैं। इस क्षमता को मोटे तौर पर निजी क्षेत्र तथा सहकारिता क्षेत्र की यूनिटों में बराबर विभाजित किया गया है। कुल मिलाकर चीनी मिलों की क्षमता 2500 टीसीडी से 5000 टीसीडी के बीच है लेकिन इसमें तेजी से वृद्धि हो रही है तथा यह क्षमता 10000 टीसीडी के पार जाती दिखाई दे रही है। दो अकेले चल सकने योग्य (स्‍टैंड-अलोन) रिफाइनरियां भी देश में गुजरात तथा पश्‍चिम बंगाल के तटवर्ती क्षेत्रों में स्‍थापित की गई हैं जो मुख्‍यतया आयातित कच्‍ची चीनी तथा देश में उत्‍पादित कच्‍ची चीनी से रिफाइंड चीनी का उत्‍पादन करती हैं। देश में चीनी मिलों का क्षेत्र-वार ब्यौरा निम्‍नानुसार है:- 

*प्रचालनरत चीनी मिलों का राज्य-वार ब्‍यौरा -

#E$tab_1

चीनी का उत्‍पादन, खपत और स्‍टॉक 

(क)चीनी का उत्‍पादन 

भारत में चीनी का उत्‍पादन चक्रीय स्‍वरूप का रहा है। प्रत्‍येक 2-3 वर्षों तक चीनी के अधिक उत्‍पादन के बाद इसमें गिरावट आती है। हालांकि, चीनी मौसम 2017-18 से, देश में लगभग 250-260 लाख टन की घरेलू आवश्यकता से अधिक चीनी का उत्पादन किया गया। भारत अब संरचनात्मक रूप से अधिशेष चीनी का देश है और अन्य देशों को चीनी का निर्यात भी कर रहा है। पिछले चीनी मौसम 2019-20 के दौरान भारत ने लगभग 59.58 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। यह आशा की जाती है कि भारत वर्तमान चीनी मौसम 2020-21 में 60 लाख टन या इससे अधिक चीनी का निर्यात करेगा।  

#E$tab_2

(ख)चीनी का इतिशेष स्‍टॉक 

2017-18 और उसके बाद से प्रत्येक चीनी मौसम के अंत में चीनी का इतिशेष स्‍टॉक का विवरण निम्‍नानुसार है:- 

#E$tab_3 

पिछले पाँच चीनी मौसमों और वर्तमान चीनी मौसम के दौरान अनुमानित पिछले स्‍टॉक, उत्‍पादन, आयात, उपलब्‍धता, अनुमानित आंतरिक खपत, इतिशेष स्‍टॉक का विवरण निम्‍नानुसार है:- 

चीनी मौसम 2016-17 और उसके बाद से चीनी का तुलन पत्र : 

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चीनी के एक्‍स-मिल और खुदरा मूल्‍य

चीनी मौसम 2016-17 से 2020-21 (15 जुलाई, 2021 तक) के दौरान देश के प्रमुख केंद्रों में चीनी (एस-30 श्रेणी) के मूल्‍य का रेंज निम्‍नानुसार है:- 

#E$tab_5 

चीनी के निर्यात/आयात के आंकड़ें

चीनी का निर्यात 

डीजीसीआईएस, कोलकाता द्वारा प्रकाशित सूचना के अनुसार चीनी मौसम 2016-17 और उसके बाद के चीनी मौसमों में चीनी के निर्यात का विवरण निम्‍नानुसार है:- 

#E$tab_6

चीनी का आयात

डीजीसीआई, कोलकाता द्वारा प्रकाशित सूचना के अनुसार चीनी मौसम 2016-17 और उसके बाद के चीनी मौसमों में चीनी के आयात का विवरण निम्‍नानुसार है:- 

#E$tab_7

*ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) और एडवांस ऑथराइजेशन स्कीम (एएएस) के तहत

गन्‍ना मूल्‍य बकाया 

संवैधानिक रूप से विभिन्‍न कानूनों द्वारा समर्थन किए जाने और राज्‍य सरकारों द्वारा लागू किए जाने के बावजूद चीनी मिलों द्वारा गन्‍ना किसानों का भुगतान घरेलू बाजार मूल्‍य की गतिशीलता तथा निर्यात संभावनाओं से संबंधित अंतर्राष्‍ट्रीय परिस्‍थिति से प्रभावित होता है। 2010-11 से लगातार पांच चीनी मौसमों और उसके बाद के चीनी मौसमों में देश में चीनी का उत्‍पादन आवश्‍यकता से अधिक रहा केवल 2016-17 को छोड़कर जब उत्‍पादन, यद्यपि कम रहा, लेकिन चीनी की कुल उपलब्‍धता, जिसमें पिछला भारी स्‍टॉक भी शामिल था, घरेलू आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्‍त थी। चीनी के अधिशेष उत्‍पादन की वजह से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में मंदी रही जिससे चीनी मिलों की नकदी की स्‍थिति और गन्‍ना  किसानों को गन्‍ना बकायों का समय पर भुगतान करने की उनकी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इसके परिणामस्‍वरूप, सरकार ने चीनी मिलों की नकदी की स्‍थिति में सुधार करने के लिए विभिन्‍न स्‍कीमों को कार्यान्‍वित किया ताकि इन मौसमों के दौरान गन्‍ना मूल्‍य बकाया कम से कम रहे। 

वर्तमान चीनी मौसम 2020-21 में 20 लाख टन से अधिक चीनी को इथेनॉल में डायवर्ट किए जाने की आशा है। वर्ष 2025-26 तक, वार्षिक तौर पर लगभग 60 लाख टन सभी अतिरिक्त चीनी को प्रति वर्ष इथेनॉल उत्पादन में डायवर्ट किए जाने की आशा है, जिससे चीनी की निराशाजनक बिक्री नियंत्रित होगी और उत्पाद का विविधीकरण भी देखने को मिलेगा। इससे चीनी मिलों के नकदी की स्थिति में भी सुधार होगा जिससे समय पर गन्ना भुगतान करने में सुविधा होगी। इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए नए फीड-स्टॉक जैसे एफसीआई के पास उपलब्ध चावल और मक्का को भी शामिल किया गया है। मक्का और एफसीआई चावल से इथेनॉल के उत्पादन से देश भर के किसानों को लाभ होगा क्योंकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा।

पिछले कुछ चीनी मौसमों की कट-ऑफ तिथि पर गन्‍ना मूल्‍य के भुगतान तथा बकाया की स्‍थिति का विवरण निम्‍नानुसार है:- 

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शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही स्कीमें

कार्यकारी स्कीमों के रूप में सरकार द्वारा किए गए विभिन्न हस्तक्षेपों को शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय द्वारा कार्यान्वित/लागू किया जा रहा है। ऐसी स्कीमों का संक्षिप्तविवरण निम्नानुसार है:-

1.   पीडीएस के माध्‍यम से अंत्‍योदय अन्‍न स्कीम  (एएवाई) परिवारों को चीनी का वितरण 

      * पीडीएफ फाइल की लिंक (दिनांक 02 जून, 2017 के पत्र के द्वारा संशोधित दिशा-निर्देश) 

राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सब्सिडी प्राप्त मूल्यों पर चीनी वितरित की जा रही थी, जिसके लिए केंद्र सरकार उन्हें 18.50 रुपए/किलोग्राम की दर से प्रतिपूर्ति कर रही थी। यह स्कीम 2001 की जनगणना के अनुसार देश की सभी बीपीएल आबादी और पूर्वोत्तर राज्यों/विशेष श्रेणी/पहाड़ी राज्यों और द्वीपीय क्षेत्रों की सभी आबादी को कवर कर रही थी।

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) को अब सभी 36 राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा व्‍यापक स्‍तर पर कार्यान्‍वित किया जा रहा है। एनएफएसए के अंतर्गत बीपीएल की कोई चिह्नित श्रेणी नहीं है, तथापि, अंत्‍योदय अन्‍न स्कीम  (एएवाई) लाभार्थियों को स्‍पष्‍ट रूप से चिह्नित किया गया है। समाज के सबसे गरीब वर्ग अर्थात एएवाई परिवारों को आहार में ऊर्जा के स्रोत के रूप में चीनी के उपभोग की पहुंच प्रदान करने के लिए प्रतिमाह प्रति एएवाई परिवार को 1 किलोग्राम चीनी उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से एएवाई परिवारों तक सीमित कवरेज के अधीन पीडीएस के माध्‍यम से सब्‍सिडी प्राप्‍त चीनी की आपूर्ति प्रदान करने संबंधी मौजूदा स्‍कीम को जारी रखने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने पीडीएस के माध्‍यम से चीनी के वितरण करने वाले राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों को प्रतिपूर्ति हेतु 18.50 रुपए प्रति किलोग्राम की वर्तमान सब्‍सिडी जारी रखी है। 

वर्तमान वित्‍तीय वर्ष 2021-22 में, इस स्‍कीम में 23 राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र भाग ले रहे हैं। 

2. चीनी मौसम 2017-18 के लिए चीनी मिलों को सहायता संबंधी स्‍कीम

     *पीडीएफ फाइल की लिंक - (9 मई, 2018 की अधिसूचना)

सरकार ने "चीनी मिलों को सहायता” संबंधी स्‍कीम अधिसूचित की है, जिसके अंतर्गत चीनी मिलों को गन्‍ने की लागत की भरपाई करने के लिए पेराई किए गए गन्‍ने के लिए 5.50 रुपये प्रति क्‍विंटल की दर से वित्‍तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जो लगभग 1540 करोड़ रुपए है। इस सहायता का उपयोग वर्तमान चीनी मौसम 2017-18 की गन्‍ना मूल्‍य की देय राशि तथा पूर्ववर्ती चीनी मौसमों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए किया जाना है। इस सहायता का भुगतान मिल की ओर से किसानों को सीधे किया जाएगा तथा इसे किसानों को बकाया सहित गन्‍ना मूल्‍य की देय राशि के प्रति समायोजित किया जाएगा। तत्पश्चात शेष राशि, यदि कोई हो तो मिल के खाते में जमा की जाएगी। 

3. चीनी मौसम 2018-19 हेतु चीनी मिलों को सहायता संबंधी स्कीम 

     *पीडीएफ फाइल की लिंक (05 अक्‍तूबर, 2018 की अधिसूचना)

किसानों के गन्ना मूल्य बकाया का भुगतान करने में चीनी मिलों की सहायता करने के उद्देश्य से सरकार ने गन्ने की लागत की भरपाई करने के लिए चीनी मौसम 2018-19 के दौरान पेराई किए गए गन्ने के संबंध में 13.88 रुपए प्रति क्विंटल की दर से चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए दिनांक 05.10.2018 को एक स्कीम अधिसूचित की है। इस संबंध में कुल व्यय लगभग 4163 करोड़ रुपए होगा, जो सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। किसानों को देय गन्ना बकाया का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए यह सहायता राशि उचित और लाभकारी मूल्य के बदले किसानों को देय गन्ना बकाया राशि के रूप में चीनी मिलों की ओर से किसानों के खाते में सीधे जमा करा दी जाएगी, जिसके साथ पिछले वर्षों और बाद की शेष राशि से संबंधित बकाया, यदि कोई हो, तो वह भी मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी। 

4. चीनी मिलों को उनके गन्ना मूल्य बकायों का भुगतान करने हेतु सरल ऋण प्रदान करना 

     *पीडीएफ फाइल की लिंक (2 मार्च, 2019 की अधिसूचना)

सरकार ने बैंकों के माध्यम से चीनी मिलों को 10540 करोड़ रुपए की ऋण राशि देने के लिए 02.03.2019 को एक सरल ऋण स्कीम भी अधिसूचित की है जिसके लिए सरकार एक वर्ष के लिए 7% की दर से लगभग 738 करोड़ रुपए की ब्याज सहायता वहन करेगी। इस स्कीम के अनुसार जो ऋण 31.05.2019 तक संस्‍वीकृत और संवितरित किए गए हैं वे ही ब्याज छूट के लिए पात्र होंगे। इस स्‍कीम के तहत 518 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है। 

5. इथनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने और संवर्धन के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देने हेतु नई स्कीम

    *पीडीएफ फाइल की लिंक (8 मार्च, 2019 की अधिसूचना)

सरकार ने इथनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने और संवर्धन के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देने हेतु 08.03.2019 को एक नई स्कीम अधिसूचित की है। इस स्कीम के तहत इथनॉल उत्पादन क्षमता के संवर्धन के लिए चीनी मिलों को बैंकों द्वारा 12900 करोड़ रुपए का सांकेतिक ऋण देने के लिए सरकार 2790 करोड़ रुपए ब्याज छूट के रूप में वहन करेगी। इस स्‍कीम के तहत 200 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है। 

6. शीरा आधारित अकेले चल सकने योग्य (स्टैंड-अलोन) डिस्टिलरियों को वित्तीय सहायतादेने संबंधी स्कीम 

     *पीडीएफ फाइल की लिंक (8 मार्च, 2019 की अधिसूचना)

     *पीडीएफ फाइल की लिंक (15 सितंबर, 2020 की अधिसूचना) 

सरकार ने शीरा आधारित अकेले चल सकने योग्य (स्टैंड-अलोन) डिस्टिलरियों को वित्तीय सहायता देने के लिए 08.03.2019 को एक स्कीम अधिसूचित की है। इस स्कीम के तहत इथनॉल उत्पादन क्षमता  बढ़ाने के लिए शीरा आधारित स्टैंड-अलोन डिस्टिलरियों को बैंकों द्वारा 2600 करोड़ रुपए का सांकेतिक ऋण देने के लिए सरकार 565 करोड़ रुपए ब्याज छूट के रूप में वहन करेगी। इसके अलावा, सरकार ने दिनांक 15.09.2020 की अधिसूचना के द्वारा शेष आवेदकों को भी पहले की स्‍कीम से मिलती-जुलती डिस्‍टिलेशन परिस्कीम ओं की स्‍थापना के लिए आवेदन करने की अनुमति दे दी है। 

7. बफर स्टॉक के निर्माण एवं अनुरक्षण संबंधी स्कीम, 2018 

     *पीडीएफ फाइल की लिंक (15 जून, 2018 की अधिसूचना)

घरेलू बाजार में मांग - आपूर्ति संतुलन को बनाए रखने और चीनी की कीमतों को स्थिर रखने, जिससे चीनी मिलों की नकदी की स्‍थिति में सुधार करके उन्हें किसानों के गन्ना मूल्य बकाया का भुगतान करने में सक्षम बनाया जा सकेगा, के लिए सरकार ने दिनांक 01.07.2018 से एक वर्ष के लिए 30 लाख टन चीनी के एक बफर स्टॉक का निर्माण किया है। सरकार ऐसे बफर स्टॉक के रखरखाव के लिए चीनी मिलों को 1175 करोड़ रुपए की लागत की प्रतिपूर्ति कर रही है। यह सब्सिडी चीनी मिल द्वारा खोले गए नो-लियन बैंक खाते में जमा की जाती है। इस नो-लियन खाते से बैंक चीनी मिलों की ओर से गन्‍ना मूल्‍य बकाया की रकम सीधे किसानों के खाते में जमा करा देंगे और बाद की शेष राशि, यदि कोई हो, तो वह मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी। 

8.  इथनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान करने संबंधी स्कीम, 2018 

    *पीडीएफ फाइल की लिंक (19 जुलाई, 2018 की अधिसूचना)

इथनॉल के उत्‍पादन की क्षमता बढ़ाने तथा इस प्रकार इथनॉल के उत्‍पादन हेतु चीनी का प्रयोग करने की भी अनुमति प्रदान करने के लिए नई डिस्‍टिलरियों की स्थापना/मौजूदा डिस्‍टिलरियों के विस्‍तार तथा इंसीनरेशन बॉयलर की स्थापना अथवा जीरो लिक्‍विड डिस्‍चार्ज के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अनुमोदित कोई अन्य विधि प्रयुक्त करने के लिए बैंकों के माध्‍यम से 6139 करोड़ रुपए का सरल ऋण प्रदान करने हेतु सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किया गया है, जिसके लिए सरकार 1332 करोड़ रुपए की ब्‍याज छूट का वहन करेगी। इस उपाय के परिणामस्‍वरूप लगभग 114 चीनी मिलों को लाभ मिलने की संभावना है और आने वाले 3 वर्षों के दौरान देश में चीनी मिलों की इथनॉल उत्‍पादन क्षमता लगभग 200 करोड़ लीटर प्रति वर्ष बढ़ने की संभावना है।

9.  चीनी मौसम 2018-19 के दौरान निर्यात को सुगम बनाने के लिए आंतरिक परिवहन, मालभाड़ा, हैंडलिंग पर किए गए व्यय और अन्य प्रभार के भुगतान संबंधी स्कीम

    *पीडीएफ फाइल की लिंक (5 अक्‍तूबर, 2018 की अधिसूचना)

सरकार ने चीनी मौसम 2018-19 के दौरान निर्यात को सुगम बनाने के लिए आंतरकि परिवहन, मालभाड़ा और अन्‍य प्रभारों के व्‍यय का वहन कर चीनी मिलों को सहायता प्रदानकरने हेतु दिनांक 05.10.2018 को तटीय राज्यों में स्थित मिलों के मामले में पत्तन से 100 किलोमीटर के भीतर स्थित मिलों के लिए 1000 रुपए प्रति टन, पत्तन से 100 किलोमीटर के बाहर स्थित मिलों के लिए 2500 रुपए प्रति टन और तटीय राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों में स्थित मिलों को 3000 रुपए प्रति टन की दर से अथवा वास्तविक व्यय, जो भी कम हो, का भुगतान किया जाएगा। एक स्‍कीम अधिसूचित की है, इस संबंध में कुल व्यय लगभग 1375 करोड़ रुपए होगा, जो सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। किसानों को देय गन्ना बकाया का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए यह सहायता राशि उचित और लाभकारी मूल्य के बदले किसानों को देय गन्ना बकाया राशि के रूप में चीनी मिलों की ओर से किसानों के खाते में सीधे जमा करा दी जाएगी, जिसमें पिछले वर्षों से संबंधित बकाया राशि भी शामिल होगी और बाद की शेष राशि, यदि कोई हो, तो वह मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी।

10.   40 लाख टन के बफर स्टॉक के निर्माण एवं अनुरक्षण संबंधी स्कीम, 2019 

       *पीडीएफ फाइल की लिंक (31 जुलाई, 2019 की अधिसूचना)

चीनी उद्योग की नकदी की स्‍थिति में सुधार करने जिससे उस चीनी मौसम 2019-20 के लिए किसानों के गन्‍ना मूल्‍य बकायों को चुकाने के लिए समर्थ बनाया जा सके और घरेलू चीनी मूल्‍य  को स्‍थिर रखने के लिए केंद्र सरकार ने 01 अगस्‍त, 2019 से एक वर्ष के लिए देश में चीनी मिलों द्वारा 40 लाख टन के बफर स्‍टॉक के निर्माण एवं अनुरक्षण के लिए दिनांक 31.07.2019 को स्‍कीम अधिसूचित की है। इस स्‍कीम के तहत बफर स्‍टॉक के अनुरक्षण के लिए सरकार लगभग 1674 करोड़ रुपए के रखरखाव लागत का वहन करेगी। इस स्‍कीम के तहत लगभग 655 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। 

11.  हैंडलिंग, अपग्रेडिंग और अन्‍य प्रोसेसिंग लागत सहित विपणन लागत तथा चीनी केनिर्यात हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय और आंतरिक परिवहन लागत एवं मालभाड़ा प्रभार संबंधी व्‍यय केलिए चीनी मिलों को सहायता प्रदान करने संबंधी स्‍कीम 

      *पीडीएफ फाइल की लिंक (12 सितंबर, 2019 की अधिसूचना)

चीनी मौसम 2019-20 के दौरान निर्यात को सुगम बनाने, जिसके फलस्‍वरूप चीनी मिलों की नकदी की स्‍थिति में सुधार हो सके जिससे उन्‍हें चीनी मौसम 2019-20 के लिए किसानों के गन्‍ना बकाया चुकाने के लिए समर्थ बनाया जा सके, के उद्देश्‍य से दिनांक 12.09.2019 की अधिसूचना के द्वारा हैंडलिंग, अपग्रेडिंग और अन्‍य प्रोसेसिंग लागत सहित विपणन लागत तथा चीनी के निर्यात हेतु अंतर्राष्‍ट्रीय और आंतरिक परिवहन एवं मालभाड़ा प्रभार संबंधी व्‍यय के लिए चीनी मिलों को सहायता प्रदान करने संबंधी स्‍कीम अधिसूचित की गई है। इस स्‍कीम के तहत 2019-20 के दौरान सरकार को 60 लाख टन के निर्यात पर लगभग 6268 करोड़ रुपए के व्‍यय का वहन करना होगा। तदनुसार, चीनी मिलों को चीनी मौसम 2019-20 के दौरान निर्यात के लिए 60 लाख टन की मिल-वार अधिकतम स्‍वीकार्य मात्रा (एमएईक्‍यू) आबंटित की गई थी। 31.10.2020 की स्‍थिति के अनुसार, 60 लाख टन के एमएईक्‍यू में से 59.58 लाख टन चीनी का निर्यात कर दिया गया है। उक्‍त स्‍कीम के तहत, निर्यात की गई मात्रा के लिए सरकार लगभग 6225 करोड़ रुपए के व्‍यय का वहन करेगी। 

12.  परिस्कीम  प्रस्तावकों को उनकी इथेनॉल आसवन क्षमता बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने अथवा गल्ला (चावल, गेहूं, जौ, मक्का और सोरघम), गन्ना, शुगर बीट  आदि जैसे फीडस्टॉक से 1जी इथेनॉल के उत्पादन के लिए डिस्टिलरी स्थापित करने संबंधी स्कीम 

14.01.2021 को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने परिस्कीम  प्रस्तावकों को उनकी इथेनॉल आसवन क्षमता बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने अथवा गल्ला (चावल, गेहूं, जौ, मक्का और सोरघम), गन्ना, शुगर बीट  आदि जैसे फीडस्टॉक से 1जी इथेनॉल के उत्पादन के लिए डिस्टिलरी स्थापित करने संबंधी स्कीम अधिसूचित की है। इस स्कीम के तहत, 6% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज में छूट अथवा बैंकों/राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी)/भारतीय नवीकरण ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)/कोई अन्य वित्तीय संस्थान, जो नाबार्ड से पुनर्वित्तीयन के पात्र हैं, द्वारा दिए गए ऋण पर बैंकों/राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी)/भारतीय नवीकरण ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)/कोई अन्य वित्तीय संस्थान, जो नाबार्ड से पुनर्वित्तीयन के पात्र हैं द्वारा प्रभारित ब्याज दर का 50%, जो भी कम हो, परियोजना प्रस्तावकों द्वारा लिए गए ऋण पर एक वर्ष के मोरेटोरियम सहित पांच वर्ष के लिए केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। 

13.  चीनी मिलों को हैंडलिंग, अपग्रेडिंग और अन्य प्रसंस्करण लागतों सहित विपणन लागतपर व्यय और चीनी के निर्यात पर अंतर्राष्ट्रीय एवं आंतरिक परिवहन लागत तथा मालढुलाई प्रभार संबंधी लागतों के लिए सहायता संबंधी स्कीम 

चीनी मौसम 2020-21 के दौरान निर्यात को सुगम बनाने, जिससे चीनी मिलों की नकदी की स्थिति में सुधार हो ताकि वे चीनी मौसम 2020-21 के लिए किसानों के गन्ना मूल्य बकाया का भुगतान करने में सक्षम हो सकें, के उद्देश्य से सरकार ने हैंडलिंग, अपग्रेडिंग और अन्य प्रसंस्करण लागतों सहित विपणन लागत पर व्यय और चीनी मौसम 2020-21 में 60 लाख टन चीनी के निर्यात को सुगम बनाने के लिए 6000 रुपए/लाख टन की दर से चीनी के निर्यात पर अंतर्राष्ट्रीय एवं आंतरिक परिवहन लागत तथा माल ढुलाई प्रभार संबंधी लागतों के लिए चीनी मिलों को सहायता प्रदान करने के लिए दिनांक 29.12.2020 की अधिसूचना के द्वारा यह स्कीम अधिसूचित की है, जिसके लिए सरकार 3600 करोड़ रुपए के अनुमानित व्यय का वहन करेगी।  

ई-गवर्नेंस पहल 

चीनी क्षेत्र में डाटा प्रबंधन प्रणाली में सुधार लाने और इसे व्‍यवस्‍थित करने के लिए विभाग के अधीन शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय ने मासिक आधार पर चीनी मिलों द्वारा सूचना को ऑनलाइन प्रस्‍तुत करने के लिए वैब आधारित प्‍लेटफॉर्म (esugar.nic.in) विकसित किया है। इससे सरकार को चीनी क्षेत्र के बेहतर प्रबंधन के लिए त्‍वरित और नीतिगत निर्णय लेने में सहायता मिली है। इस नई प्रणाली से चीनी मिलों के डाटा प्रबंधन के साथ-साथ सरकार की कार्यप्रणाली में भी पारदर्शिता आई है। यह पोर्टल उत्‍पादन, पाक्षिक आधार पर चीनी मिलों का गन्‍ना मूल्‍य बकाया इत्‍यादि से संबंधित सूचना प्राप्‍त करने के लिए राज्‍य सरकारों के साथ ऑनलाइन कनेक्‍टीविटी हेतु विंडो भी मुहैया कराता है।

2.  शर्करा और वनस्‍पति तेल निदेशालय ने हाल ही में सभी डिस्‍टिलरियों, या तो चीनी मिलों से संबद्ध या अलग से स्‍थापित (स्‍टैंडएलोन), द्वारा पैट्रोल के साथ ब्‍लेंडेड इथनॉल (ईबीपी) के तहत इथनॉल के उत्‍पादन और उसकी आपूर्ति से संबंधित आंकड़ों को ऑनलाइन प्रस्‍तुत करने के लिए एक वेब पोर्टल/डैशबोर्ड (sugarethanol.nic.in) भी विकसित किया है। जिन डिस्‍टिलरियों को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की ब्‍याज छूट स्‍कीम के तहत लाभ मिला है, उनके द्वारा भी अपने कार्यान्‍वयन की स्‍थिति और बाधाओं, यदि कोई हो, तो अद्यतन करना अपेक्षित होगा ताकि उनका तेजी से निवारण किया जा सके। इस कार्यक्रम से कार्यान्‍वयनाधीन डिस्‍टिलरी परिस्कीम ओं की प्रगति की निगरानी में भी मदद मिलेगी।

3.  इसी प्रकार, से खाद्य तेल प्रोसेसिंग इकाइयों के लिए भी ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन सुविधा (evegoils.nic.in) मई, 2014 से प्रचालनरत है। पंजीकृत इकाइयां खाद्य तेलों की प्रोसेसिंग के संबंध में उत्‍पादन आंकड़ें उपलब्‍ध करा रही हैं जिससे नीतियाँ बनाने में मदद मिलती है। 

शर्करा और वनस्पति तेल निदेशालय में स्टाफ संख्या