हिन्दुस्तान वेजीटेबल आयल्स कारपोरेशन के बारे में
सरकार के पूर्ण स्वामित्व की कंपनी हिन्दुस्तान वेजीटेबल ऑयल्स कारपोरेशन का गठन दो राष्ट्रीयकृत कंपनियों अर्थात गणेश फ्लोर मिल और अमृतसर आयल वर्क्स का विलय करके वर्ष 1984 में किया गया था। यह कंपनी वनस्पति के निर्माण, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए आयातित
खाद्य तेलों की रिफाईनिंग और पैकिंग तथा ब्रेकफास्ट अनाज का उत्पादन करने के कार्य में संलग्न थी। कंपनी की दिल्ली, कानपुर, अमृतसर, मुम्बई और कोलकाता में निर्माण और रिफाईनिंग यूनिटें थीं तथा बैंगलोर और चैन्नई में पैकिंग यूनिट थी। दिल्ली स्थित ब्रेकफास्ट
फूड यूनिट को छोड़कर वर्ष 2001 में सभी यूनिटों को बंद कर दिया गया था। वर्तमान में ब्रेकफास्ट फूड यूनिट को छोड़कर कम्पनी का परिसमापन किया जा रहा है। परिसमापक ने अब तक चेन्नई, मुंबई, अमृतसर और बंगलौर स्थित यूनिटों की चल संपत्ति का निपटान कर दिया है। कानपुर
स्थित यूनिट की इस प्रकार की परिसंपत्तियों का निपाटान किया जा रहा है। एचवीओसी की ब्रेकफास्ट फूड यूनिट अपने प्रचालनों से बढ़ती हुई लागतों को वसूल न कर पाने के कारण जून, 2011 से बंद कर दी गई है ताकि उत्पादन कार्यों से होने वाले नुकसान को न्यूनतम किया जा सके।
एचवीओसी में फिलहाल 97 कर्मचारी बचे हैं। माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर उन्हें वेतन और अन्य देय राशि का भुगतान परिसमापक के पास एचवीओसी की चल संपत्ति की बिक्री के ज़रिए प्राप्त राशि से निर्मित निधि से किया जा रहा है।
केन्द्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से ड्यू-डिलिजेंस प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया गया था, ताकि यह अभिनिश्चित करने का प्रयास किया जा सके कि क्या वे एचवीओसी का अधिग्रहण इसकी परिसंपत्तियों, देयताओं और शेष जनशक्ति के साथ कर
सकते हैं। इन केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों ने एचवीओसी का अधिग्रहण करने में अपनी असमर्थता व्यक्त की है। रक्षा मंत्रालय, रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) से एचवीओसी का अधिग्रहण इसकी परिसंपत्तियों, देयताओं और शेष जनशक्ति के साथ करने पर
विचार करने का अनुरोध किया गया था। रक्षा मंत्रालय ने सूचित किया है कि यह मामला अभी विचाराधीन है और सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है।