खाद्यान्नों की हैंडलिंग, भंडारण एवं ढुलाई संबंधी राष्ट्रीय नीति
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण (खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग) नई दिल्ली, 04 जुलाई, 2000
संख्या टीएफसी-14/99-खंड-3- खेत के स्तर पर तथा वाणिज्यिक स्तर पर खाद्यान्नों की भंडारण तथा मार्गस्थ हानियों को कम करने, भारतीय खाद्य निगम द्वारा खरीदे गए खाद्यान्नों की हैंडलिंग, भंडारण तथा ढुलाई की प्रणाली को सुविधाजनक बनाने एवं निजी क्षेत्र को शामिल
करते हुए संसाधनों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने खाद्यान्नों की हैंडलिंग, भंडारणतथा ढुलाई संबंधी नीति अनुमोदित की है, जिसका ब्यौरा निम्नानुसार है:-
संकल्प
- नीति का उद्देश्य
इस नीति के मुख्य उद्देश्य निम्नानुसार हैं:-
- खेत के स्तर पर, जहां खाद्यान्नों के कुल उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत रखा एवं उपभोग किया जाता है, भंडारण एवं मार्गस्थ हानियों को कम करना तथा किसानों को वैज्ञानिक भंडारण पद्धतियां अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- भारतीय खाद्य निगम द्वारा खरीदे गए खाद्यान्नों की हैंडलिंग, भंडारण तथा ढुलाई की प्रणाली का आधुनिकीकरण करना।
- भारतीय खाद्य निगम द्वारा खरीदे गए खाद्यान्नों की हैंडलिंग, भंडारण तथा ढुलाई की प्रणाली का आधुनिकीकरण करना।
- पारिवारिक स्तर पर भंडारण हेतु नीति
- चूंकि, पारिवारिक क्षेत्र कुल उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत अपने पास रखता है तथा खाद्यान्नों की भारी मात्रा उचित भंडारण न करने के कारण खेत के स्तर पर ही बर्बाद हो जाती है, अत: खेत के स्तर पर भंडारण के मानदण्डों में सुधार करने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
वर्तमान में, इस आवश्यकता पर लक्ष्य केंद्रित करने वाली एकमात्र स्कीम ‘सेव ग्रेन केंपेन’ है, जो धात्विक तथा अधात्विक भंडारण संरचना के प्रयोग को लोकप्रिय बनाने तथा किसानों को वैज्ञानिक भंडारण पद्धतियां अपनाने के लिए उन्हें जागरूक बनाती है। इस स्कीम में
अधात्विक पारम्परिक भंडारण संरचनापओं के विकास एवं सुधार पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
- इस क्षेत्र में और अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित पहलें अनुमोदित की गई हैं:-
- अलग-अलग खेत के स्तर धातु के पात्रों तथा अधात्विक भंडारण संरचना के प्रयोग को बढ़ावा देने एवं उचित वित्तीय प्रोत्साहनों के साथ सामुदायिक स्तर पर आरसीसी बिन्स के निर्माण के संबंध में स्कीम लागू करना।
- खाद्यान्नों के वैज्ञानिक भंडारण एवं परीरक्षण तथा किसानों के बीच उनके प्रसार संबंधी ‘सेव ग्रेन केंपेन स्कीम’ के मौजूदा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण घटको को सुदृढ़ बनाना।
- बल्क अनाज हैंडलिंग की बुनियादी संरचना को आधुनिक बनाना एवं अपग्रेड करना
- भंडारण हानियों को कम करने के लिए भारत में एकीकृत बल्क हैंडलिंग, भंडारण तथा ढुलाई की बुनियादी संरचना का विकास करना एवं उसका आधुनिककीकरण करना आवश्यक है। इस नीति में निम्नलिखित बातों पर विशेष रूप से जोर दिया जाना जाना चाहिए:-
- खेत के स्तर एवं मंडी स्तर पर यांत्रिक रूप से फसल कटाई, सफाई एवं ढुलाई को प्रोत्साहित करना।
- खेत से साइलो तक खाद्यान्नों की ढुलाई विशेष रूप से डिजाईन किए गए ट्रकों में करना।
- खरीद एवं वितरण केंद्रों तक साइलो की श्रृंखला का निर्माण करना।
- अनाज की ढुलाई साइलो से रेलहेड तक तथा इसके पश्चात पूर्व-निर्धारित गन्तव्यों तक विशेष रूप से डिजाईन किए गए ट्रकों/रेल वैगनों (टॉप फीलिंग एवं बॉटम डिस्चार्ज तंत्र युक्त)/ विशिष्ट ट्रेनों में करना।
- खाद्यान्न भंडारों को बुनियादी संरचना घोषित करना।
- भारतीय खाद्य निगम द्वारा खरीदे गए खाद्यान्नों के भंडारण के लिए उत्पादन और खपत वाले क्षेत्रों में तथा पत्तन वाले कुछेक नगरों में पहचान किए गए लगभग 20 केन्द्रीय स्थानों पर गुणवत्ता नियंत्रण हेतु जांच सुविधाओं के साथ गेहूं के लिए बड़ी क्षमता वाले साईलो युक्त
बल्क हैंडलिंग सुविधाओ का निर्माण किया जाएगा। इन केन्द्रों तक बल्क ढुलाई के लिए बुनियादी सुविधाओ सहित निजी क्षेत्र में इन सुविधाओ का निर्माण और रखरखाव भारतीय खाद्य निगम के समग्र समन्वय के अंतर्गत किया जाएगा। विशेष "टॉप फीलिंग एंड बॉटम डिस्चार्ज वैगन” के डिजाइन
का निर्णय रेल मंत्रालय के परामर्श से किया जाएगा। उन स्थानों तथा सर्किट्स का निर्णय भी रेल मंत्रालय के परामर्श से किया जाएगा, जिनके बीच ये वैगन चलेंगी। भारतीय खाद्य निगम पहले 10 वर्ष तक 100% की सीमा तक और अगले 10 वर्ष तक 75% की सीमा तक इन सुविधाओं के उपयोग
की गारंटी देगा। तत्पश्चात इन स्थानों से खाद्यान्नों की ढुलाई विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण केन्द्रीय स्थानों पर बने लगभग 500 गोदामों तक की जाएगी, जिनका स्वामित्व और रखरखाव भारतीय खाद्य निगम का होगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खुदरा वितरण के लिए खपत वाले
क्षेत्रों तक इनकी आगे ढुलाई राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।
- निजी क्षेत्र को भंडारण क्षमता के निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसमें वह सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदे गए खाद्यान्नों का भंडारण और रखरखाव करेगा तथा इसके लिए वह भंडारण प्रभार प्राप्त करने के लिए पात्र होगा।
- निम्नलिखित के माध्यम से एकीकृत हैंडलिंग, भंडारण एवं ढुलाई हेतु बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निजी क्षेत्र की सहभागिता आमंत्रित और प्रोत्साहित की जानी चाहिए:-
- बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रान्सफर (बीओओटी), बिल्ड-ओन-लीज-ट्रान्सफर (बीओएलटी), बिल्ड-ओन-ऑपरेट (बीओओ), लीज-डेवलप-ऑपरेट (एलडीओ), संयुक्त उद्यम आदि;
- निजी उद्यमों द्वारा पब्लिक ईश्यूज़ के माध्यम से निधियों का संग्रहण;
- 100% तक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का स्वतः अनुमोदन
- वित्तीय संस्थाओं, नाबार्ड से ऋण, विदेशों से वाणिज्यिक ऋण लेना
- वित्तीय प्रोत्साहन, जिनका ब्यौरा निम्नानुसार है:-
- i.पहले पाँच वर्षों के लिए आयकर के प्रयोजनार्थ लाभ में 100% की कटौती और अगले पांच वर्षों के लिए 30% की कटौती।
- ii.ऐसी परियोजनाओं को वित्तपोषित करने वाले वित्तीय संस्थानों द्वारा प्राप्त लाभ के 40% की कटौती, जो अन्य बातों के साथ-साथ कृषि विकास हेतु दीर्घावधिक वित्त प्रदान करने वाले वित्तीय निगमों को दी जाती है।
- iii.जो मदें भारत में विनिर्मित नहीं हैं, उनके लिए मामला-दर-मामला आधार पर सीमा शुल्क में छूट, बशर्ते ऐसे उपकरणों की एक सूची अग्रिम तौर पर प्रस्तुत की जाए।
- पत्तनों पर बुनियादी सुविधाओं का विकास
भारत पारम्परिक रूप से खाद्यान्नों का आयातक देश रहा है, अतः पत्तनों पर उपलब्ध बुनियादी सुविधाएं मूल रूप से अनलोडिंग प्रचालनों के लिए हैं, न कि निर्यात के लिए। अनलोडिंग प्रचालनों के लिए सामान्यतः शिप गियर्स का उपयोग किया जाता है। जवाहरलाल नेहरू पत्तन, नवी मुम्बई
में नवीनतम यंत्रीकृत सुविधाएं केवल आयात के प्रयोजनार्थ डिजाइन की गई हैं। प्रमुख पत्तनों पर सामान्य कार्गो अवतरण केन्द्रों का अभाव है और पत्तनों पर खाद्यान्नों के भंडारण के लिए सीमित वेयरहाऊसिंग सुविधाएं उपलब्ध हैं। आने वाले समय में खाद्यान्नों के निर्यात के
प्रयोजनार्थ बुनियादी सुविधाओ के विकास करना होगा, जिसके लिए निम्नलिखित कार्रवाई अपेक्षित है।
- खाद्यान्नों के निर्यात के प्रयोजनार्थ विकसित किए जाने वाले पत्तनों की पहचान करना। खाद्यान्न की आवक का वितरण न्यू मैंगलौर और कोचीन जैसे गैर-पारम्परिक पत्तनों पर हो सकता है, जिनके पास रिक्त क्षमता मौजूद है;
- पत्तनों के स्वयं के निवेश/निजी सहभागिता के माध्यम से पत्तनों पर और अधिक सामान्य कार्गो अवतरण केन्द्रों का विकास;
- वाटर फ्रंट/अवतरण केंद्र प्रयोक्ताओं को लीज पर दिये जा सकते हैं, जिन्हे स्वयं की सुविधाएं निर्मित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- चुनन्दा पत्तनों पर विशिष्ट आधुनिक खाद्यान्न हैंडलिंग सुविधाओं का विकास करना।
- केन्द्रीय सरकार की भूमिका
केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित कार्य करेगी:-
- (1) अंतिम निर्णय लेने के लिए सक्षम अनुमोदन बोर्ड का गठन करके खाद्यान्नों की बल्क हैंडलिंग, ढुलाई और भंडारण हेतु बुनियादी सुविधाओं के विकास से संबंधित परियोजनाओं को शीघ्रातिशीघ्र स्वीकृति प्रदान करना;
- (2) तकनीकी/वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए अन्य देशों/अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ द्विपक्षीय करार निष्पादित करना;
- (3) विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा तैयार स्टॉक नियंत्रण ऑर्डर/संचलन नियंत्रण ऑर्डर से संबंधित बाधाओं को दूर करने के लिए आवश्यक कानूनी/प्रशासनिक उपाय करना;
- (4) विभिन्न प्रचालनों जैसे सफाई, सुखाने, भंडारण, ढुलाई आदि के लिए टैरिफ के निर्धारण/विनियमन हेतु किसी मौजूदा स्वतंत्र विनियामक तंत्र की सेवाओं का उपयोग करना;
- (5) बल्क ढुलाई के लिए रेलवे की सुविधा उपलब्ध कराना;
- (6) निगोशिएबल वेयरहाऊसिंग रसीद प्रणाली का संवर्धन करना, जिससे किसान अपना अनाज बाजार में बेचने के बजाए वहां रख सकें और इस रसीदों के प्रति बैंकों से उधर लेकर अपनी कार्यशील पूंजी/अल्पावधिक जरूरत को पूरा कर सकें; और
- (7) वैकल्पिक भंडारण प्रौद्योगिकी जैसे वैक्यूम प्रोसेस स्टोरेज (वीपीएस) के विकास के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देना, जिससे खाद्यान्नों के जीवन काल में वृद्धि सुनिश्चित होगी और वैक्यूम पैकों में खाद्यान्नों के निर्यात में सहायक होगी।
- राज्य सरकार की भूमिका
राज्य सरकार निम्नलिखित के लिए सहायता करेगी:-
- (1) सार्वजनिक प्रयोजनार्थ विभिन्न परियोजनाओं हेतु अपेक्षित भूमि का अधिग्रहण; और
- (2) पानी, बिजली,सड़क आदि जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना।
हस्ता./-
(बी के बल)
संयुक्त सचिव, भारत सरकार
आदेश
आदेश दिया जाता है कि इस संकल्प की प्रति भारत सरकार के सभी मंत्रालयोन/विभागों, योजना आयोग, राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों के मुख्य सचिवों, भारतीय खाद्य निगम, केन्द्रीय भंडारण निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशकोन को भिजवाई जाए।
यह भी आदेश दिया जाता है कि इस संकल्प को आम जानकारी के लिए राजपत्र में प्रकाशित किया जाए।
(बी के बल)
संयुक्त सचिव, भारत सरकार