खरीद-नीति
केंद्रीय सरकार देश भर में भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियों के जरिए धान और गेहूं को मूल्य समर्थन प्रदान करती है। गेहूं तथा चावल से संबंधित खरीद नीति खुली है । इस नीति के अधीन भारत सरकार द्वारा निर्धारित समयावधि के भीतर तथा निर्धारित विनिर्दिष्टियों
के अनुरूप किसानों द्वारा जितना भी गेहूं और चावल लाया जाता है, उसे केंद्रीय पूल के लिए भारतीय खाद्य निगम सहित राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद लिया जाता है। किसानो को न्यूनतम समर्थन मूल्य की तुलना में बेहतर मूल्य मिलने पर वे अपनी
उपज को खुले बाजार में अर्थात निजी व्यापारियों को बेचने के लिए स्वतंत्र होते हैं | सरकारी एजेंसियों द्वारा खाद्यान्नों की खरीद करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य मिले और उन्हें मजबूरी में बिक्री न करनी पड़े
। इसका लक्ष्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम तथा अन्य कल्याणकारी स्कीमों के अंतर्गत जरूरतमंद लोगों को सब्सिडाइज्ड दर पर अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित करना तथा खाद्यान सुरक्षा हेतु अनाज का बफर स्टॉक तैयार करना है |
इसके अलावा, राज्य सरकारों द्वारा मोटे अनाज की विभिन्न जिंसों की खरीद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम तथा अन्य कल्याणकारी स्कीमों के अंतर्गत वितरण के लिए राज्य सरकारों द्वारा अपनी आवश्यकता के अनुसार भारतीय खाद्य निगम के परामर्श से स्वयं की जाती है
।
केंद्रीकृत खरीद प्रणाली
केंद्रीकृत खरीद प्रणाली के तहत, केन्द्रीय पूल के लिए खाद्यानों की खरीद या तो सीधे भारतीय खाद्य निगम द्वारा की जाती है या राज्य एजेंसियां खाद्यानों की खरीद कर भंडारण तथा भारत सरकार द्वारा आवंटन के अनुसार उसी राज्य मे निर्गत करने हेतु या अधिशेष स्टॉक को अन्य
राज्यों मे परिचालन हेतु भारतीय खाद्य निगम को सुपुर्द कर देती हैं | भारतीय खाद्य निगम को राज्य एजेंसियों द्वारा स्टॉक सुपुर्द किए जाने के बाद उनके द्वारा खरीदे गए खाद्यानों की लागत की प्रतिपूर्ति भारत सरकार द्वारा जारी किए गए लागत पत्रक के अनुसार भारतीय खाद्य
निगम के द्वारा की जाती है |
विकेन्द्रीकृत खरीद स्कीम
खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कार्यकुशलता में वृद्धि करने तथा स्थानीय किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ देकर अधिकतम सीमा तक स्थानीय खरीद को प्रोत्साहित करने और ढुलाई की लागत में बचत करने के उद्देश्य से सरकार ने वर्ष 1997-98 में खाद्यान्नों
की विकेन्द्रीकृत खरीद स्कीम की शुरुआत की थी। इसमें उन खाद्यान्नों की खरीद की जाती है, जो स्थानीय तौर पर अधिक पसंद किए जाते हैं।
इस स्कीम के अंतर्गत राज्य सरकार स्वयं, भारत सरकार की ओर से धान और गेहूं की सीधे खरीद और लेवी चावल की खरीद करती है तथा लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और कल्याणकारी योजनाओं के तहत इन खाद्यान्नों के भंडारण और वितरण का कार्य भी करती है। केन्द्र सरकार, अनुमोदित
लागत के अनुसार, राज्य सरकारों द्वारा खरीद कार्यों पर वहन किए गए सभी व्यय को पूरा करती है। केन्द्र सरकार इस स्कीम के अधीन खरीदे गए खाद्यान्नों की गुणवत्ता की भी मॉनीटरिंग भी करती है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रबंधों की समीक्षा करती है कि खरीद कार्य सुचारु
रूप से संचालित हो।
वर्तमान में निम्नलिखित राज्य विकेन्द्रीकृत खरीद प्रणाली के अंतर्गत शामिल हैं:-
्रम संख्या |
ाज्य/संघ राज्य क्षेत्र |
खाद्यान्न, जिसके लिए विकेन्द्रीकृत खरीद अपनायी गई है |
1. |
अंडण्मान और निकोबार द्वीप समूह |
चावल |
2. |
बिहार |
चावल/गेहूं |
3. |
छत्तीसगढ़ |
चावल/गेहूं |
4. |
गुजरात |
चावल/गेहूं |
5. |
कर्नाटक |
चावल |
6. |
केरल |
चावल |
7. |
मध्य प्रदेश |
चावल/गेहूं |
8. |
ओड़ीशा |
चावल |
9. |
तमिलनाडु |
चावल |
10. |
उत्तराखंड |
चावल/गेहूं |
11. |
पश्चिम बंगाल |
चावल/गेहूं |
12. |
पंजाब |
गेहूँ |
13. |
राजस्थान (9 जिले)* |
गेहूँ |
14. |
आन्ध्र प्रदेश |
चावल |
15. |
तेलंगाना |
चावल |
16. |
महाराष्ट्र |
चावल |
17. |
झारखंड (5 जिला) |
चावल |
*रबी विपणन वर्ष 2017-18 तथा 2018-19 के लिए छूट.