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तेल प्रभाग

Oilयह देश में खाद्य तेलों के प्रबंधन की बहुआयामी रणनीति को समन्‍वित करता है अर्थात घरेलू स्रोतों से (i) खाद्य तेलों और इसकी उपलब्‍धता हेतु मांग का मूल्‍यांकन करना। मांग और पूर्ति असंतुलन को खाद्य तेलों के आयात से पूरा किया जाता है ताकि उचित स्‍तर पर उनके मूल्‍यों को बरकरार रखा जाए। (ii) यह खाद्य तेलों के मूल्‍यों को घरेलू और अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार दोनों पर बारीकी से निगरानी रखता है और जब भी जरूरत हो आवश्‍यक नीतिगत उपायों के लिए पहल करता है। यह प्रभाग योग्‍य तकनीकी कार्मिकों से सुसज्‍जित है, जोकि मंत्रालय को खाद्य तेलों के समन्‍वित प्रबंधन, विशेष रूप से उत्‍पादन/उपलब्‍धता और कीमतों की निगरानी/नियंत्रण से संबंधित कार्यों में सहायता करता है।

खाद्य तेल परिदृश्‍य

देश की अर्थव्‍यवस्‍था में खाद्य तेलों का महत्‍व

Oilतिलहन और खाद्य तेल दो अत्‍यधिक संवेदनशील आवश्‍यक वस्‍तुओं में से है। भारत विश्‍व में तिलहनों के सबसे बड़े उत्‍पादकों में से एक है और यह क्षेत्र कृषि अर्थव्‍वस्‍था में एक महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखता है, 17.08.2015 को कृषि मंत्रालय द्वारा जारी चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2014-15 (नवम्‍बर-अक्‍तूबर) के दौरान नौ तिलहनों की खेती से 26.68 मिलियन टन का अनुमानित उत्‍पादन हुआ। विश्‍व तिलहन उत्‍पादन में भारत का लगभग 6-7% अंश है। वित्‍तीय वर्ष 2014-15 में लगभग 5.45 मिलियन टन तेल युक्‍त भोजन तिलहन और लघु तेल का निर्यात हुआ जिसकी कीमत 19280.21 करोड़ रूपए आंकी गई है।

भारत में सामान्यतया प्रयुक्त होने वाले तेलों की किस्में

भारत अपनी विभिन्‍न कृषि जलवायु क्षेत्रों में उगाई जाने वाली तिलहन फसलों की व्‍यापक सीमाओं के लिए भाग्‍यशाली है। मूंगफली, सरसों/सफेद सरसों, तिल, कुसुम, अलसी, काले तिल का तेल/एरण्‍डी का तेल प्रमुख परंपरागत रूप से उगाए जाने वाले तिलहन हैं। हाल ही के वर्षों में सोयाबीन और सूरजमुखी ने भी महत्‍वपूर्ण स्‍थान ले लिया है। नारियल सभी पौधरोपित फसलों में सबसे महत्‍वपूर्ण है। केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूहों सहित आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु देश के उत्‍तर-पूर्वी भाग में आयल पाम उगाने के प्रयास किए जा रहे हें। गैर-परंपरागत तेलों में राइसब्रान तेल और बिनौला तेल अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्‍त पेड़ों और वन मूल के तिलहनों जो ज्‍यादातर आदिवासी वसागत क्षेत्रों में उगाए जाते हैं, तिलहनों के महत्‍वपूर्ण स्रोत हैं। पिछले 10 वर्षों के दौरान प्रमुख तिलहनों की खेती के अनुमानित उत्‍पादन, सभी घरेल स्रोतों से खाद्य तेलों की उपलब्‍धता (घरेलू और आयात स्रोतों से) से संबंधित आंकड़े नीचे दिए गए हैं:-

(लाख टनों में)

तेल वर्ष(नव-अक्‍तू) तिलहनों का उत्‍पादन* समस्‍त घरेलू स्रोतों से खाद्य तेलों की निबल उपलब्‍धता आयात** खाद्य तेलों की कुल उपलब्‍धता
2005-2006 279.79 83.16 40.91 124.07
2006-2007 242.89 73.70 46.05 119.75
2007-2008 297.55 86.54 54.34 140.88
2008-2009 277.19 84.56 74.98 159.54
2009-2010 248.83 79.46 74.64 154.10
2010-2011 324.79 97.82 72.42 170.24
2011-2012 297.98 89.57 99.43 189.00
2012-2013 309.43 92.19 106.05 198.24
2013-2014 328.79 100.80 109.76 210.56
2014-2015 266.75 89.78 127.31 217.09

स्रोत: *कृषि मंत्रालय द्वारा जारी (दिनांक 14.08.2014) के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार
** वाणिज्‍यिक आसूचना एवं सांख्‍यिकीय महानिदेशालय

भारत में खाद्य तेलों की खपत का ढांचा

भारत एक विशाल देश है और इसके अनेकों क्षेत्रों के निवासियों ने ऐसे कुछ तेलों के लिए खास पसंद विकसित की है जो अधिकतर उस क्षेत्र में उपलब्‍ध तेलों पर निर्भर करता है। उदाहरणत: दक्षिण और पश्‍चिम के लोग मूंगफली का तेल पसंद करते हैं, जबकि पूर्व और उत्‍तर वाले सरसों/सफेद सरसों का प्रयोग करते हैं। इसी तरह दक्षिण के कई क्षेत्रों में नारियल और तिल के तेल को पसंद करते हैं। उत्‍तरी मैदानों में बसे लोग मूलत: वसा के उपभोक्‍ता है और इसलिए वनस्‍पति को वरीयता देते है जिसमें सोयाबीन, सूरजमुखी, राइसब्रान तेल और बिनौला तेल जैसे तेलों के आंशिक रूप से हाइड्रोजेनेटेड खाद्य तेल मिश्रण को प्रयोग में लाया जाता है। पेड़ और वन मूल के तिलहनों में से कई नए तेलों ने वनस्‍पति माध्‍यम से खाद्य पूल में काफी हद तक अपना रास्‍ता बना लिया है। इसके बाद स्‍थितियां काफी बदल गई है। आधुनिक तकनीकी साधनों के माध्‍यम से जैसे कि वास्‍तविक परिष्‍करण, ब्‍लीचिंग और डी-ओडराइजेशन सभी तेल व्‍यवहारिक रूप से रंगहीन, सुगंधरहित और स्‍वादरहित होते है और इसलिए रसोईघर में आसानी से आपस में बदल जाते हैं। तेल जैसे-सोयाबीन, बिनौला, सूरजमुखी, राइसब्रान, पाम तेल और उसके तरलांश पामोलीन जिसको पहले जाना भी नहीं जाता था वह अब रसोईघर में प्रवेश कर गए है। खाद्य तेल बाजार में कच्‍चे तेल, परिष्‍कृत तेल और वनस्‍पति का कुल अंश मोटे तौर पर क्रमश: 35%, 55% और 10% अनुमानित है। खाद्य तेलों की घरेलू मांग का लगभग 50% आयात से पूरा किया जाता है जिसमें से पाम तेल/पामोलीन का लगभग 80% हिस्‍सा है। पिछले कुछ वर्षों में परिष्‍कृत पामोलीन की खपत के साथ-साथ अन्‍य तेलों के साथ उसका मिश्रण काफी हद तक बढ़ गया है और होटल, रेस्‍टोरेन्‍ट और विभिन्‍न प्रकार के खाद्य उत्‍पादों को बनाने में बड़े पैमाने पर इस्‍तेमाल किया जाता है।

खाद्य तेल अर्थव्यवस्‍था की प्रमुख विशेषताएं

इसकी दो प्रमुख विशेषताएं है, जिसने इस क्षेत्र के विकास में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। पहला था 1986 में तिलहनों पर प्रौद्योगिकी मिशन की स्‍थापना जिसे 2014 में तिलहनों और तेल पाम (एनएमओओपी) पर राष्‍ट्रीय मिशन में बदल दिया गया। इससे तिलहनों के उत्‍पादन को बढ़ाने में सरकारी प्रयासों को चुनौती मिली। तिलहनों के उत्‍पादन में 1986-87 में लगभग 11.3 मिलियन टन से 2014-15 में 26.68 मिलियन टन की बहुत प्रभावशाली वृद्धि से यह स्‍पष्‍ट हो जाता है। अधिकतर तिलहनों की खेती सीमांत भूमि पर की जाती है और वह वर्षा और अन्‍य मौसमी दशाओं पर निर्भर होता है। अन्‍य प्रभावी विशेषता जिसका खाद्य तिलहनों/तेल उद्योग की वर्तमान स्‍थिति पर महत्‍वपूर्ण प्रभाव पड़ा, वह था उदारीकरण कार्यक्रम जिसके अंतर्गत सरकार की आर्थिक नीति ने खुले बाजार को अधिकतर स्‍वतंत्रता प्रदान करते हुए तथा सुरक्षा और नियंत्रण के बजाए स्‍वस्‍थ स्‍पर्धा और स्‍व विनियमन को प्रोत्‍साहित किया है। नियंत्रणों और विनियमों में ढील दी गई है जिसके परिणामस्‍वरूप घरेलू और बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों दोनों द्वारा बाजार को अत्‍यंत स्‍पर्धात्‍मक बना दिया गया है।

खाद्य तेलों पर निर्यात आयात नीति

किसानों, संसाधनों और उपभोक्‍ताओं के हितों को संगत बनाने के क्रम में और ठीक उसी समय यथा संभावित खाद्य तेलों के विशाल आयात का विनियमन करने हेतु खाद्य तेलों को आयात शुल्‍क संरचना की समय-समय पर समीक्षा की जाती है। कच्‍चे और परिष्‍कृत खाद्य तेलों पर वर्तमान में आयात शुल्‍क क्रमश: 12.5% और 20% है।

खाद्य तेलों के निर्यात पर 17.03.2008 से प्रतिबंध लगा दिया गया था। तथापि 5.2.2013 से इलेक्‍ट्रानिक डाटा इंटरचेंज (ईडीआई) बंदरगाहों से एरंडी तेल, नारियल तेल तथा अधिसूचित भूमि सीमा शुल्‍क स्‍टेशनों और उपवन उत्‍पादों से उत्‍पादित कुछ खाद्य तेलों और जैविक खाद्य तेलों पर खाद्य तेलों के निर्यात पर लगे प्रतिबंध पर छूट दी गई है। 06.02.2015 से 5 किलो तक ब्रांडेड उपभोक्‍ता पैकों में खाद्य तेलों के निर्यात की अनुमति दी गई है बशर्तें कि न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍य 900 प्रति मी.टन अमेरिकी डालर हो। थोक में राइस ब्रान तेल के निर्यात पर लगी रोक में दिनांक 06.08.2015 से छूट दी गई है।

वनस्‍पति मूल के प्रमुख खाद्य तेलों पर आयात शुल्‍क का ऐतिहासिक ढांचा

तेल का नाम आयात सेवा की दर/प्रभावी तिथियां
कच्‍चा पाम तेल 70 % (11/08/06) 60% (24/01/07) 50% (13/04/07) 45% (23/07/07) 20% (21/03/08) 0% (01/04/08) 0% (17/03/12) 2.5% (23/01/13) 2.5% (23/01/13) 7.5% (24/12/2014) 12.5% (17/09/2015)
आरबीडी पामोलीन 80 % (11/08/06) 67.5% (24/01/07) 57.5% (13/04/07) 52.5% (23/07/07) 27.5% (21/03/08) 7.5 (01/04/08) 7.5 % (17/03/12) 7.5 % (17/03/12) 10% (20/01/2014) 15% (24/12/2014 20% (17/09/2015
कच्‍चा सोयाबीन तेल 40% (23/07/07) 0% (01/04/08) 20% (18/11/08) 0% (24/03/09) 0% 0% 0% (17/03/12) 2.5% (23/01/13) 2.5% (23/01/13) 7.5% (24/12/2014 12.5% (17/09/2015
परिष्‍कृत सोयाबीन तेल 40% (23/07/07) 7.5 % (01/04/08) 7.5 % (18/11/08) 7.5 % (24/03/09) 7.5 % 7.5 % 7.5 % (17/03/12) 7.5 % (17/03/12) 10% (20/01/2014) 15% (24/12/2014 20% (17/09/2015
कच्‍चा सूरजमुखी तेल 65% (24/01/07) 50% (01/03/07) 40% (23/07/07) 20% (21/03/08) 0% (01/04/08) 0% (24/03/09) 0% (17/03/12) 2.5% (23/01/13) 2.5% (23/01/13) 7.5% (24/12/2014 12.5% (17/09/2015
परिष्‍कृत सूरजमुखी तेल 75% (24/01/07) 60% (01/03/07) 50% (23/07/07) 27.5% (21/03/08) 7.5 % (01/04/08) 7.5 % (24/03/09) 7.5 % (17/03/12) 7.5 % (17/03/12) 10% (20/01/2014) 15% (24/12/2014 20% (17/09/2015

2014-15 के दौरान खाद्य तेलों के संबंध में हाल ही के प्रमुख निर्णय

  • दिनांक 6 फरवरी की अधिसूचना सं. 108 (आर ई-2013)/2009-2014 के तहत खाद्य तेलों का निर्यात ब्रांडेड उपभोक्‍ता पैकों में यूएसडी 900 प्रति मी.टन के न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍य पर अनुमत्‍य है।
  • दिनांक 06 अगस्‍त, 2015 की अधिसूचना सं.-17/2015-20 की अधिसूचना के तहत जैविक खाद्य तेलों का निर्यात के ठेके पंजीकृत होने पर और कृषि और संशाधित खाद्य उत्‍पाद निर्यात विकास प्राधिकारण (एपीईडीए)द्वारा ‘’जैविक’’ के रूप में प्रमाणित करने पर और थोक में राइसब्रान तेल को खाद्य तेलों के निर्यात पर लगी रोक से छूट प्राप्‍त है।
  • दिनांक 17 सितम्‍बर, 2015 की अधिसूचना सं.-46/2015 के तहत कच्‍चे तेलों पर आयात शुल्‍क में 7.5% से बढ़कर 12.5% तक की वृद्धि हुई और रिफाइंड तेलों पर आयात शुल्‍क को 15% से 20% तक वृद्धि हुई है।
  • 5 अगस्‍त, 2011 से भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) अधिनियम, 2006 के कार्यान्‍वयन के साथ खाद्य तेल उद्योगों को लाइसेंस, सुरक्षा और मानक मापदंडों को जारी करने के लिए भारतीय खाद्य सं रक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा शासित किया जाता है। तथापि, वनस्‍पति तेल उत्‍पाद, उत्‍पादन और उपलब्‍धता (नियंत्रण) आदेश, 2011 के तहत खाद्य तेल उद्योगों के लिए खरीद की निगरानी वनस्‍पति तेल और वसा निदेशालय द्वारा की जाती है।

वनस्‍पति तेल उद्योग की स्‍थिति (05.04.2016 के अनुसार)

निदेशालय के साथ पंजीकृत वनस्‍पति तेल उद्योग का प्रकार

उद्योग का प्रकार इकाइयों की संख्‍या
वनस्‍पति, इंटेरेस्‍टेफाइड वनस्‍पति तेल और वसा 92
विलायक संयंत्र और तेल मिलों के साथ रिफाइनरी 194
तेल मिल और सम्‍मिश्रित खाद्य वनस्‍पति तेल 107
विलायक निष्‍कर्षण इकाईयां 110
कुल 503
उद्योग का प्रकार इकाइयों की संख्‍या
तेल मिल एक्‍सपैलर 54.7
विलायक निष्‍कर्षण संयंत्र 520.6
रिफाइनरी 2548.6
हाइड्रोजनरेशन संयंत्र 268.3
इंटेरेस्‍टीफाइड वनस्‍पति वसा 15.2
मार्गरीन स्‍परेड 5.3
सम्‍मिश्रित खाद्य वनस्‍पति तेल 44.7
कुल 3457.4

अभिलेख

2007 से खाद्य तेलों और वसाओं के संबंध में लिए गए प्रमुख निर्णय

  • दिनांक 24.1.2007 की अधिसूचना सं. सीयूएस एनटीएफ नं. 08/2007 के प्रभाव से कच्‍चे पाम आयल/कच्‍चे पामोलीन पर आयात शुल्‍क 70% से घटाकर 60%, परिष्‍कृत पाम आयल/आरबीडी पामोलीन पर आयात शुल्‍क 80% से घटाकर 67.5%, कच्‍चे सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्‍क 75% से घटाकर 65% और परिष्‍कृत सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्‍क को 85% से घटाकर 75% कर दिया गया है।
  • 01.03.2007 से कच्‍चे सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्‍क को 65% से घटाकर 50% तथा परिष्‍कृत सूरजमुखी तेल और अन्‍य तेलों पर आयात शुल्‍क को 75% से घटाकर 60% कर दिया गया है। इसके अलावा, खाद्य तेल (सोयाबीन तेल, सफेद सरसों का तेल और सरसों के तेल के अलावा) कुल सीमा शुल्‍क का 3% शिक्षा उपकर लगेगा। 1.3.2007 से सभी खाद्य तेलों पर 4% की दर से विशेष अतिरिक्‍त सीमा शुल्‍क नहीं लगेगा।
  • 13.4.07 से कच्‍चे पाम आयल/कच्‍चे पामोलीन पर आयात शुल्‍क 60% से घटाकर 50% तथा परिष्‍कृत पाम आयल/आरबीडी पर आयात शुल्‍क को 67.5% से घटाकर 57.5% कर दिया गया है।
  • 23.7.2007 से कच्‍चे पाम आयल/कच्‍चे पामोलीन तथा परिष्‍कृत पाम आयल/ पामोलीन पर आयात शुल्‍क को क्रमश: 50% से घटाकर 45% और 57.5% से घटाकर 52.5% कर दिया गया है तथा कच्‍चे तथा परिष्‍कृत सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्‍क को क्रमश: 50% से घटाकर 40% और 60% से घटाकर 50% किया गया है और कच्‍चे और परिष्‍कृत सोयाबीन तेल पर आयात शुल्‍क को 45% से घटाकर 40% किया गया है।
  • दिनांक 12.06.2000 तथा 21.04.2003 के पिछले आदेश जिनमें वनस्‍पति बनाने के लिए घरेलू तेलों का न्‍यूनतम स्‍तर का प्रयोग और एक्‍सपैलर सरसों तेल का अधिकतम स्‍तर पर प्रयोग करने की शर्तें थी, वनस्‍पति तेल उत्‍पाद (विनियमन) आदेश, 1998 के प्रावधानों के अंतर्गत दिनांक 11.2.2008 के आदेश सं45-वीपी(2)/99 से समाप्‍त कर दिया गया है। इस प्रकार आज की तारीख को वनस्‍पति के निर्माण में एक्‍सपैलर सरसों के तेल सहित घरेलू तेलों के प्रयोग की अनिवार्य बाध्‍यता नहीं है।
  • 21.03.2008 से कच्‍चे पाम आयल/पामोलीन और परिष्‍कृत पाम तेल/पामोलीन पर सीमाशुल्‍क को क्रमश: 45% से घटाकर 20% तथा 52.5% से घटाकर 27.5% और कच्‍चे और परिष्‍कृत सरसों/सफेद सरसों के तेल पर सीमा शुल्‍क को क्रमश: 75% से घटाकर 20% तथा 75% से घटाकर 27.5% कर दिया गया है।
  • 01 अप्रैल, 2008 से पाम आयल, पामोलीन, पाम गरी तेल, सोयाबीन तेल, सफेद सरसों/सरसों तेल, सूरजमुखी तेल, कुसुम तेल, मूंगफली तेल, नारियल तेल तथा कुछ अन्‍य वनस्‍पति तेलों के कच्‍चे और परिष्‍कृत रूपों में वित्‍त मंत्रालय, राजस्‍व विभाग द्वारा जारी अधिसचूना सं.42/2008-सीमा शुल्‍क के तहत क्रमश: घटकार शून्‍य और 7.5% कर दी गई है।
  • डीजीएफटी ने अधिसचूना सं.122/2008-सीमा शुल्‍क के तहत चिपचिपाहट रहित सोयाबीन तेल पर सीमा शुल्‍क 18.11.2008 से बढ़ाकर 20% किया है। परन्‍तु, डीजीएफटी में अधिसचूना सं.27/2009-सीमा शुल्‍क को घटकार शून्‍य कर दिया गया है। कच्‍चे तेलों पर 0% और परिष्‍कृत तेलों पर 7.5% की शुल्‍क संरचना जारी है।
  • डीजीएफटी ने दिनांक 17 मार्च, 2008 की अधिसचूना सं. 85(आर ई-2007) /2004-2009 के तहत अनुसूची-I के पाठ 15 के अंतर्गत सभी खाद्य तेलों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है। तथापि, एरण्‍डी तेल(अखाद्य ग्रेड का), नारियल तेल (कोचीन बंदरगाह के माध्‍यम से) तथा लघु वन मूल के उत्‍पादित निश्‍चित तेलों (अर्थात् कोकुम तेल/वसा, साल तेल/वसा/स्‍टेराइन, धूप तेल, निमौरी का तेल, काले तिल का तेल, आम गरी तेल/स्‍टेराइन/ओलेइन,संशाधित या परिष्‍कृत) पर वाणिज्‍य विभाग द्वारा एक वर्ष की अवधि के लिए दिनांक 1.4.2008 की अधिसचूना सं.92(आर ई-2007)/2004-2009 के तहत निर्यात प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। दिनांक 17.4.2009 की अधिसचूना सं.98(आर ई-2008)/2004-2009 के तहत निर्यात पर बंदिश को 16.03.2010 तक बढ़ाया गया है। डीजीएफटी ने अधिसचूना सं.39(आर ई-2008)/2004-2009 के तहत 20.11.2008 से मछली का तेल निर्यात करने की अनुमति प्रदान की थी। अधिसचूना सं.98(आर ई-2008)/2004-2009 के तहत लगाई बंदिश को 30.09.2010 तक दिनांक 4 सितंबर, 2010 की अधिसचूना सं.04/2009-2014 के तहत बढ़ाया गया। दिनांक 4.9.2009 की अधिसचूना सं.04/2009-2014 की अधिसचूना सं.04/2009-2014 के तहत लगाई बंदिश को 30.09.2011 तक दिनांक 30 सितंबर, 2010 की अधिसचूना सं.07(आरई-2010)/2009-2014 के तहत बढ़ाया गया। अधिसचूना सं.77(आरई-2010)/2009-2014, दिनांक 28 सितंबर, 2011 के तहत खाद्य तेलों के आयात पर बंदिश उपर्युक्‍त छूट के साथ 30.09.2012 तक बढ़ाया गया। अधिसचूना सं.24(आरई-2012)/2009-2014 दिनांक 19 अक्‍तूबर, 2012 के तहत खाद्य तेलों के निर्यात पर बंदिश को अगले आदेशों तक बढ़ा दिया गया है।
  • डीजीएफटी ने अधिसचूना सं.60(आरई-2008)//2004-09 के तहत 5 किग्रा. तक के ब्रान्‍डेड उपभोक्‍ता पैकों में दिनांक 20.11.2008 से खाद्य तेलों के निर्यात की अनुमति प्रदान की है बशर्ते कि अगले एक वर्ष के दौरान 31.10.2009 तक इसकी सीमा 10000 टन तक ही सीमित हो। इसे 1.11.2009 से 31.10.2010 तक बढ़ाया गया और फिर 1.11.2010 से 31.10.2011 तक बढ़ाया गया। अधिसचूना सं.77(आरई-2010)//2009-14 दिनांक 28 सितंबर, 2011 के तहत ब्रांडेड उपभोक्‍ता पैकों में 10,000 टन तक की सीमा के लिए खाद्य तेलों के निर्यात को 1.11.2011से 31.10.2012 तक बढ़ाया गया। खाद्य तेलों के निर्यात पर लगी बंदिश को 17.03.2008 से अगले आदेशों तक अधिसचूना सं.24(आरई-2012)//2009-14 दिनांक 19 अक्‍तूबर, 2012 तक बढ़ाया गया। अधिसचूना सं.32(आरई-2012)//2009-14 दिनांक 5 फरवरी, 2013 के तहत एरण्‍डी का तेल, नारियल का तेल को सभी ई डी आई बंदरगाहों तथा लैण्‍ड कस्‍टम स्‍टेशनों (एलसीएस), के माध्‍यम से उप वन उत्‍पादों से उत्‍पादित कुछ खास तेलों को खाद्य तेलों के निर्यात पर लगी रोक से छूट दी गई तथा 05 किग्रा. तक के ब्रांडेड उपभोक्‍ता पैकों में खाद्य तेलों के निर्यात को 1500 प्रति टन यूएसडी के न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍यों पर अनुमति प्रदान की गई। इसके अलावा, अधिसचूना सं.45(आरई-2013)//2009-14 दिनांक 9 अक्‍तूबर, 2013 के तहत, खाद्य तेलों के 05 किग्रा. तक के ब्रांडेड उपभोक्‍ता पैकों के निर्यात पर एमईपी घटाकर 1400 प्रति मी.टन यूएसडी किया गया। इसे अधिसचूना सं.80(आरई-2013)//2009-14 दिनांक 30 अप्रैल, 2014 के तहत फिर घटाकर 1100 यूएसडी तक कर दिया गया है।
  • खाद्य तेलों की बढ़ती हुई कीमतों से समाज के गरीब तबके को राहत प्रदान करने के क्रम में केन्‍द्रीय सरकार ने 2008-09 में 10 लाख टन खाद्य तेलों के वितरण की राज्‍य सरकारों/संघ राज्‍य क्षेत्रों के माध्‍यम से प्रति राशन कार्ड पर 01 किग्रा. के लिए 15/- रूपये प्रति किलोग्राम की राजसहायता की स्‍कीम लागू की। इस स्‍कीम को 2009-10, 2010-11, 2011-12 के लिए बढ़ाया गया तथा फिर 2012-13 में 30.09.2013 तक बढ़ाया गया। इस स्‍कीम के कार्यान्‍वयन के बाद खाद्य तेलों की कीमतों में भारी गिरावट आई और गरीब तबके को खाद्य तेल राजसहायता दरों पर प्रदान किए गए।
  • इस विभाग की व्‍यवसाय नियमावली की बाध्‍यताओं को पूरा करने के क्रम में आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम, 1955 के भाग 3 के अंतर्गत एक नया आदेश अर्थात वनस्‍पति तेल उत्‍पाद उत्‍पादन और उपलब्‍धता (विनियमन) आदेश 2011 (2011 का जीएसआर-664ई) 7 सितंबर, 2011 को अधिसूचित हुआ।
  • दिनांक 23 जनवरी, 2013 की अधिसचूना के तहत कच्‍चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्‍क को 0% से बढ़ाकर 2.5% कर दिया गया है।
  • दिनांक 20 जनवरी, 2014 की अधिसचूना सं. 02/2014-सीमा शुल्‍क के तहत परिष्‍कृत खाद्य तेलों पर आयात शुल्‍क 7.5% से बढ़ाकर 10.0% कर दिया गया है।
  • दिनांक 24 दिसंबर, 2014 की अधिसचूना सं. 34/2014-सीमा शुल्‍क के तहत कच्‍चे तेलों पर आयात शुल्‍क को 2.5% से बढ़ाकर 7.5% तथा परिष्‍कृत खाद्य तेलों पर 10.0% से बढ़ाकर 15.0% कर दिया गया है।
  • दिनांक 17 सितम्‍बर, 2015 की अधिसूचना सं.-46/2015 के तहत कच्‍चे तेलों पर आयात शुल्‍क में 7.5% से बढ़कर 12.5% तक की वृद्धि हुई और रिफाइंड तेलों पर आयात शुल्‍क को 15% से 20% तक वृद्धि हुई है।