लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अंत्योदय अन्न योजना को लागू करना गरीबी रेखा से नीचे की आबादी के निर्धनतम वर्ग के बीच भुखमरी को कम करने की दिशा में उठाया गया एक कदम था। एक राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण
प्रक्रिया में इस तथ्य की ओर संकेत किया गया है कि देश में कुल आबादी का लगभग
5% दिन में दो वक्त के भोजन के बिना सोता है। आबादी के इस वर्ग को "भुखमरी" वाला वर्ग कहा जा सकता है। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को आबादी
के इस वर्ग के प्रति और अधिक केंद्रित और लक्षित करने के लिए एक करोड़ निर्धनतम परिवारों के लिए दिसम्बर, 2000
में 'अंत्योदय अन्न योजना'
शुरू की गयी थी।
अंत्योदय अन्न योजना में राज्य के भीतर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अधीन कवर किए गए गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों में से एक करोड़ निर्धनतम परिवारों की पहचान करने और उन्हें
2 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूं और 3
रुपये प्रति किलोग्राम चावल की अत्यधिक राजसहायता प्राप्त दरों पर खाद्यान्न प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के लिए यह अपेक्षित है कि वे डीलरों और खुदरा विक्रेताओं के
मार्जिन सहित वितरण लागत और ढुलाई लागत वहन करें। इस प्रकार,
इस स्कीम के अधीन सम्पूर्ण खाद्य राजसहायता उपभोक्ताओं तक पहुंचाई जा रही है।
निर्गम का मानदंड जो प्रारंभ में 25
किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह था,
उसे 1
अप्रैल, 2002
से बढ़ाकर 35
किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह कर दिया गया है।
इसके बाद 2.50 करोड़ निर्धनतम परिवारों को कवर करने के लिए अंत्योदय अन्न योजना
का विस्तार निम्नानुसार किया गया है:-
गरीबी रेखा से नीचे के
50
लाख अतिरिक्त परिवारों को शामिल करके 2003-04
में अंत्योदय अन्न योजना का विस्तार किया गया था,
इसमें वे परिवार शामिल किए गए थे,
जिनकी मुखिया विधवा अथवा असाध्य रोगी या दिव्यांग व्यक्ति अथवा 60
वर्ष या उससे अधिक की आयु के व्यक्ति थे और जिनकी जीविका का सुनिश्चित साधन नहीं था या जिन्हें कोई सामाजिक सनहाया प्राप्त नहीं थी। इस बारे में दिनांक 3 जून,
2003 के आदेश को जारी किए गए थे। इस वृद्धि के साथ अंत्योदय अन्न योजना के अधीन 1.5
करोड़ परिवार (अर्थात् गरीबी रेखा से नीचे
का 23%)
कवर हो गए हैं।
केन्द्रीय बजट 2004-05
में की गई घोषणा के अनुसार अंत्योदय अन्न योजना का और विस्तार किया गया है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ भुखमरी के जोखिम वाले सभी परिवारों को शामिल करके
50 लाख गरीबी रेखा से नीचे के और परिवार इस योजना में शामिल किए गए हैं। इस बारे में दिनांक 3
अगस्त, 2004
को आदेश जारी किए गए। इन परिवारों की पहचान करने के लिए निम्नलिखित मानदंड अपनाए गए:- (क) ग्रामीण और शहरी,
दोनों क्षेत्रों में भूमिहीन कृषि श्रमिक,
छोटे किसान,
कुम्हार,
मोची,
बुनकर,
लोहार,
झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले जैसे ग्रामीण दस्तकार और कुली,
रिक्शा चालक,
हथठेला चालक,
फल और फूल विक्रेता,
संपेरे,
कबाड़ी,
मोची जैसे अनौपचारिक क्षेत्र में दिहाड़ी आधार पर जीविका अर्जित करने वाले व्यक्ति,
निराश्रित और इसी प्रकार की अन्य श्रेणियों के परिवार। (ख) वे परिवार,
जिनकी मुखिया विधवाएं अथवा असाध्य रोग ग्रस्त व्यक्ति/दिव्यांग व्यक्ति/60
वर्ष अथवा उससे अधिक की आयु के व्यक्ति या परिवारविहीन अकेली महिला अथवा अकेला पुरुष,
जिन्हें सामाजिक सहायता प्राप्त नहीं है अथवा जिनकी जीविका का कोई सुनिश्चित साधन नहीं है। (ग) विधवा अथवा असाध्य रोग से ग्रस्त व्यक्ति अथवा
60 वर्ष अथवा उससे अधिक की आयु के व्यक्ति या परिवारविहीन अकेली महिला अथवा अकेला पुरुष,
जिन्हें सामाजिक सहायता प्राप्त नहीं है अथवा जिनकी जीविका का कोई सुनिश्चित साधन नहीं है। (घ) सभी आदिम जनजातीय परिवार।
केंद्रीय बजट 2005-06
में की गयी घोषणा के अनुसार अंत्योदय अन्न योजना का और विस्तार करके गरीबी रेखा से नीचे के 50
लाख और परिवारों को कवर किया गया था और इस प्रकार इसका कवरेज बढ़ाकर
2.5 करोड़ परिवार (अर्थात्
गरीबी रेखा से नीचे का 38
प्रतिशत) किया गया है। इस बारे में दिनांक
12 मई
2005 को आदेश जारी किए गए थे।