नीति-4: खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के अंतर्गत खाद्यान्नों की बिक्री से संबंधित नीतिगत मामले, राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों द्वारा धारित क्षतिग्रस्त खाद्यान्नों
का निपटान और अन्य संबंधित मुद्दे।
महत्वपूर्ण गतिविधियां:
भारतीय खाद्य निगम भारत सरकार के निर्देश पर ई-नीलामी के माध्यम से खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के अंतर्गत पूर्व-निर्धारित मूल्यों पर समय-समय पर खाद्यान्नों की बिक्री करता है। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू)
के माध्यम से बफर और कार्यनीतिक रिजर्व मानदंडों के अतिरिक्त उपलब्ध खाद्यान्नों के स्टॉक की बिक्री हेतु मात्रा एवं मूल्यों की सिफ़ारिश करने के लिए सरकार ने जनवरी, 2015 में एक समिति का गठन किया था, जिसमें सचिव (खाद्य
और सार्वजनिक वितरण), सचिव (व्यय), सचिव (उपभोक्ता मामले) और सचिव (वाणिज्य) (निर्यात से संबंधित मुद्दों हेतु) को शामिल किया गया था। इस समिति की सिफ़ारिशों के आधार पर खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के अंतर्गत खाद्यान्नों
के सरप्लस स्टॉक की बिक्री हेतु संबंधित वित्तीय वर्ष के दौरान उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री और वित्त मंत्री के अनुमोदन से नीति का निर्धारण किया जाता है।
2. जो खाद्यान्न एफएसएसएआई के मानदंडों के अनुरूप नहीं होते हैं और जिन्हें सामान्य तौर पर जारी करने के लिए और अधिक रिकंडीशन नहीं किया जा सकता है, उन्हें
‘जारी न करने योग्य/क्षतिग्रस्त’ खाद्यान्न माना जाता है। विभिन्न श्रेणियों के अधीन वर्गीकृत, जारी न किए जाने योग्य खाद्यान्नों का निपटान प्रक्रियानुसार किया जाता है। भारतीय खाद्य निगम और राज्य
एजेंसियों के पास पड़े जारी न करने योग्य खाद्यान्नों की बिक्री केवल वास्तविक पंजीकृत पार्टियों को की जाती है, ताकि जारी न करने योग्य खाद्यान्न बाजार में न आ सकें।