खाद्यान्नों की खरीद
खरीद एवं वितरण संबंधी प्रासंगिक व्यय का निर्धारण
खाद्यान्नों (चावल और गेहूं) के खरीद प्रचालनों में केन्द्रीय पूल में सुपुर्दगी अथवा विकेंद्रीकृत खरीद स्कीम के अंतर्गत अपनी आवश्यकता की पूर्ति हेतु अनेक राज्य सरकारें अपने विभागों अथवा एजेंसियों के माध्यम से शामिल रहतीं हैं। खाद्यान्नों की खरीद हेतु विपणन मौसम की शुरुआत से पूर्व राज्य सरकारें यथास्थिति अनंतिम अधिग्रहण लागत/आर्थिक लागत के निर्धारण हेतु अपने प्रस्ताव भारत सरकार को भेजती हैं। इन अनंतिम लागतों को राज्य सरकारों द्वारा एजेंसियों के लेखा परीक्षित लेखे को प्रस्तुत करने के बाद अंतिम रूप दिया जाता है। इन लागतों के निर्धारण की विधि में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से इस विभाग ने इन लागतों के निर्धारण हेतु"सिद्धान्त” जारी किए हैं। विभाग द्वारा समय-समय पर इन सिद्धांतों में संशोधन किया जाता हैं। राज्य सरकारों को इन सिद्धांतों के आधार पर अपनी अधिग्रहण लागत/आर्थिक लागत हेतु अपने प्रस्ताव तैयार करने की सलाह दी जाती है। भारत सरकार इन सिद्धांतों के आधार पर प्रस्तावों की जांच करती है और तदनुसार सहमति सूचित की जाती है।
खाद्यान्नों की खरीद से जुड़े प्रासंगिक व्यय/आर्थिक लागत को अंतिम रूप देना
खरीफ विपणन मौसम (केएमएस) एवं रबी विपणन मौसम (आरएमएस) की प्रत्येक फसल के लिए खाद्यान्नों के अनंतिम प्रासंगिक व्ययों/आर्थिक लागत को अंतिम रूप राज्य सरकारों से प्रस्ताव तथा लेखा परीक्षित लेखे प्राप्त होने के बाद भारतीय खाद्य निगम के परामर्श से दिया जाता है। लागत को अंतिम रूप देने से पहले राज्यों को प्रस्तावित अंतिम दरों पर अपनी टिप्पणियाँ देने का अवसर दिया जाता है और यदि वांछित हो, तो विवाद के निपटान के लिए संबंधित राज्य के साथ बैठक भी आयोजित की जाती है।