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गन्‍ना मूल्‍य निर्धारण नीति

दिनांक 22.10.2009 को गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 में संशोधन करने के साथ, गन्ने के सांविधिक न्यूनतम मूल्य की अवधारणा के स्थान पर 2009-10 और बाद के चीनी मौसमों के लिए गन्ने के ‘उचित और लाभकारी मूल्य’ की अवधारणा लाई गई थी। केन्द्रीय सरकार द्वारा कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर और राज्य सरकारों के साथ विचार-विमर्श के पश्चात तथा चीनी उद्योग की एसोसिएशनों से सूचना लेकर गन्ना मूल्य निर्धारित किया जाता है और उसकी घोषणा की जाती है । गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के संशोधित उपबंधों में निम्नलिखित घटकों को ध्यान में रखते हुए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य निर्धारित करने का प्रावधान है:-

1. गन्ने की उत्पादन लागत;

2. वैकल्पिक फसलों से उत्पादकों को लाभ तथा कृषि जिंसों के मूल्यों की सामान्य प्रवृत्ति

3. उपभोक्ताओं को उचित दर पर चीनी की उपलब्धता

4. उत्‍पादनकर्ताओं द्वारा गन्ने से उत्पादित चीनी जिस मूल्य पर बेची जाती है

5. गन्ने से चीनी की रिकवरी

6. सह-उत्पादों अर्थात शीरा, खोई तथा प्रैस मड के विक्रय से प्राप्त राशि या उनके अभ्यारोपित मूल्य (29.12.2008 की अधिसूचना द्वारा अंत:स्‍थापित)

7. जोखिम और लाभ के कारण गन्‍ना उत्‍पादकों के लिए उचित मार्जिन (22.10.2009 की अधिसूचना द्वारा अंत:स्‍थापित)

उचित और लाभकारी मूल्य की प्रणाली के अधीन, किसानों को मौसम के अंत की अथवा चीनी मिलों या सरकार द्वारा लाभों की किसी घोषणा की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। नई प्रणाली में इस तथ्य का ख्याल किए बिना किसानों को लाभ और जोखिम के प्रति मार्जिन भी आश्वस्त किए गए हैं कि भले ही चीनी फैक्ट्रियों को लाभ होता है या नहीं और ये किसी चीनी मिल विशेष के कार्य निष्पादन पर निर्भर नहीं है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि अपेक्षाकृत अधिक चीनी रिकवरियों का पर्याप्त रूप से प्रतिफल दिया जाता है और चीनी मिलों के बीच विभिन्नताओं पर विचार करते हुए, गन्ने से चीनी की अधिक रिकवरी के लिए किसानों को देय प्रीमियम के साथ उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) चीनी की मूल रिकवरी दर से सम्बद्ध हैं।

तदनुसार, चीनी मौसम 2018-19 के लिए उचित और लाभकारी मूल्‍य 275 रुपये प्रति क्‍विंटल निर्धारित किया गया है, जो 10 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर से संबद्ध है, जो 10 प्रतिशत से अधिक रिकवरी पर प्रत्‍येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 2.75 रुपये प्रति क्विंटल के प्रीमियम के अध्यधीन है और 9.5% तक रिकवरी में 0.1 प्रतिशत की गिरावट के लिए एफ आर पी में उसी दर पर कमी के अध्यधीन है। सरकार ने किसानों के हित के संरक्षण की दृष्‍टि से यह निर्णय लिया है कि उन 127 मिलों के मामले में कोई कटौती नहीं की जाएगी, जिनकी रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है। ऐसे किसानों को वर्तमान मौसम में गन्‍ने के लिए 261.25 रूपये प्रति क्‍विंटल का मूल्‍य मिलेगा।


चीनी मौसम

उचित और लाभकारी मूल्य

(रूपये प्रति क्विंटल)

मूल रिकवरी स्तर

2009-10

129.84

9.5%

2010-11

139.12

9.5%

2011-12

145.00

9.5%

2012-13

170.00

9.5%

2013-14

210.00

9.5%

2014-15

220.00

9.5%

2015-16

230.00

9.5%

2016-17

230.00

9.5%

2017-18

255.00

9.5%

2018-19

275.00

10 %

डा. सी. रंगाराजन समिति की सिफारिशों के आधार पर चीनी क्षेत्र को नियंत्रण मुक्‍त करना

वर्ष 2013-14 चीनी क्षेत्र के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण वर्ष था। केंद्र सरकार ने चीनी क्षेत्र के विनियंत्रण से संबंधित डॉ. सी रंगराजन की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफ़ारिशों पर विचार किया था और सितम्बर, 2012 के बाद उत्पादित चीनी पर मिलों की लेवी बाध्यता की प्रणाली को समाप्त करने और चीनी की खुले बाजार में बिक्री संबंधी विनियमित निर्गम तंत्र को समाप्त करने का निर्णय लिया था। चीनी क्षेत्र का विनियंत्रण चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार करने, नकद प्रवाह में वृद्धि करने, इनवेंटरी लागत को कम करने और गन्ना किसानों को उनके गन्ना मूल्य के यथासमय भुगतान के लिए किया गया था। गन्ना क्षेत्र आरक्षण, न्यूनतम दूरी संबंधी मानदंड और गन्ना मूल्य फार्मूला को अपनाने के बारे में समिति द्वारा की गई सिफ़ारिशें निर्णय एवं कार्यान्वयन हेतु राज्य सरकारों को भिजवा दी गई हैं, जैसा वे उचित समझें। समिति की सिफ़ारिशों के सारांश एवं सरकार द्वारा उन पर की गई कार्रवाई का ब्यौरा इस अध्‍याय के अनुबंध-1 में दिया गया है।

न्‍यूनतम संकेतात्‍मक कोटा (एमआईईक्‍यू)

चीनी उद्योग के इन्‍वेंटरी स्‍तर को ध्‍यान में रखते हुए तथा नकदी की स्थिति को सुगम बनाने के लिए खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के दिनांक 28.03.2018 के आदेश द्वारा चीनी मौसम 2017-18 के लिए मिल-वार न्‍यूनतम संकेतात्‍मक निर्यात कोटा (एमआईईक्‍यू) निर्धारित किया गया है, जिसे तत्पश्चात दिनांक 09.05.2018 के आदेश द्वारा संशोधित किया गया था। चीनी के सभी ग्रेडों अर्थात रॉ, प्‍लांटेशन व्‍हाइट तथा रिफाइंड चीनी का 20 लाख टन का निर्यात कोटा चीनी कारखानों द्वारा गत दो वर्षों के प्रचालनात्‍मक चीनी मौसमों तथा मौजूदा मौसम (फरवरी-2018 तक) में उनके द्वारा किए गए औसत उत्‍पादन को ध्‍यान में रख कर उनके बीच यथानुपात में बांटा गया है।

इसके अलावा, चीनी उद्योग के अत्यधिक इनवेंटरी स्तर को देखते हुए तथा नकदी की स्थिति को सुगम बनाने के लिए खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के दिनांक 28.09.2018 के आदेश द्वारा चीनी मौसम 2018-19 के लिए मिल-वार 50 लाख टन न्‍यूनतम संकेतात्‍मक निर्यात कोटा (एमआईईक्‍यू) निर्धारित किया गया है। चीनी मिलों को उन्हें एमआईईक्‍यू के तहत आवंटित चीनी का निर्यात दिनांक 30.09.2019 तक करना अपेक्षित है।

चीनी मौसम 2017-18 हेतु चीनी मिलों को सहायता संबंधी स्कीम

सरकार ने "चीनी मिलों की सहायता" की एक योजना अधिसूचित की है जिसके अंतर्गत चीनी मिलों को 500/- रुपये प्रति क्विंटल की दर से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जो कि गन्ने की लागत को 1540 करोड़ रुपये तक भरपाई कर सकती है। वर्तमान चीनी मौसम 2017-18 के गन्ना मूल्य बकाया भुगतान और पिछले चीनी मौसम के बकाया के भुगतान हेतु सहायता का उपयोग किया जाना है। मिलों की ओर से सहायता किसानों के खाते में सीधे अंतरित कर दी जाएगी, जिसके साथ पिछले वर्षों और बाद की शेष राशि से संबंधित बकाया, यदि कोई हो, तो वह भी मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी।

चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य (एमएसपी) का निर्धारण

आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 की उप धारा (2) के खंड (ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सरकार ने चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश, 2018 अधिसूचित किया है। उक्त आदेश के प्रावधानों के अंतर्गत सरकार ने घरेलू उपभोग के लिए चीनी मिलों द्वारा कारख़ाना द्वार पर बिक्री के लिए श्वेत/रिफाईंड चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य 29/- रुपए प्रति किलोग्राम निर्धारित किया है। चीनी के न्यूनतम विक्रय मूल्य का निर्धारण गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) तथा सर्वाधिक कार्य कुशल मिलों की परिवर्तन लागत के घटकों को ध्यान में रखकर किया गया है।

चीनी मौसम 2018-19 हेतु चीनी मिलों को सहायता संबंधी स्कीम

किसानों के देय गन्ना मूल्य का भुगतान करने के लिए चीनी मिलों की सहायता करने हेतु सरकार ने गन्ने की लागत की भरपाई करने के लिए चीनी मौसम 2018-19 के दौरान पेराई किए गए गन्ने के संबंध में 13.88 रुपए प्रति क्विंटल की दर से चीनी मिलों को वित्तीय सहायता प्रदान हेतु दिनांक 05.10.2018 को एक स्कीम अधिसूचित की है। इस संबंध में कुल व्यय लगभग 4163 करोड़ रुपए होगा, जो सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। किसानों को देय गन्ना बकाया का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए यह सहायता उचित और लाभकारी मूल्य के लिए किसानों को देय गन्ना बकाया राशि के रूप में चीनी मिलों की ओर से किसानों के खाते में सीधे अंतरित कर दी जाएगी, जिसके साथ पिछले वर्षों और बाद की शेष राशि से संबंधित बकाया, यदि कोई हो, तो वह भी मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी।

बफर स्टॉक के निर्माण एवं रखरखाव संबंधी स्कीम, 2018

घरेलू बाजार में मांग आपूर्ति संतुलन को बनाए रखने और चीनी की कीमतों को स्थिर करने के लिए जिससे चीनी मिलों की नकदी स्‍थिति में सुधार करने से उन्हें किसानों के गन्ना मूल्य बकाया को समाप्‍त करने में सक्षम बनाया जा सके, दिनांक 01.07.2018 से सरकार ने एक वर्ष के लिए 30 लाख टन चीनी का एक बफर स्टॉक निर्मित किया है। सरकार ऐसे बफर स्टॉक के रखरखाव के लिए चीनी मिलों को 1175 करोड़ रुपये की लागत की प्रतिपूर्ति करेगी। यह सब्सिडी चीनी मिल द्वारा खोले गए नो-लियन बैंक खाते में जमा की जाएगी। इस नो-लियन खाते से बैंक द्वारा किसानों को देय गन्ना बकाया राशि के रूप में चीनी मिलों की ओर से किसानों के खाते में सीधे अंतरित कर दी जाएगी, जिसके साथ पिछले वर्षों और बाद की शेष राशि से संबंधित बकाया राशि, यदि कोई हो, तो वह भी मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी।

चीनी मौसम 2018-19 के दौरान निर्यात को सुगम बनाने के लिए आंतरिक परिवहन, मालभाड़े, हैंडलिंग, पर किए गए व्यय और अन्य प्रभार के भुगतान हेतु स्कीम

सरकार ने चीनी मौसम 2018-19 के दौरान निर्यात को सुगम बनाने के लिए तटीय राज्यों में स्थित मिलों के मामले में पत्तन से 100 किलोमीटर के भीतर स्थित मिलों के लिए 1000 रुपए प्रति टन, पत्तन से 100 किलोमीटर के बाहर स्थित मिलों के लिए 2500 रुपए प्रति टन और तटीय राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों में स्थित मिलों को 3000 रुपए प्रति टन की दर से अथवा वास्तविक व्यय, जो भी कम हो, का भुगतान करके चीनी मिलों को सहायता प्रदान करने के लिए एक स्‍कीम दिनांक 05.10.2018 को अधिसूचित की है। इस संबंध में कुल व्यय लगभग 1375 करोड़ रुपए होगा, जो सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। किसानों को देय गन्ना बकाया का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए यह सहायता उचित और लाभकारी मूल्य के लिए किसानों को देय गन्ना बकाया राशि के रूप में चीनी मिलों की ओर से किसानों के खाते में सीधे अंतरित कर दी जाएगी, जिसके साथ पिछले वर्षों और बाद की शेष राशि से संबंधित बकाया, यदि कोई हो, तो वह भी मिलों के खाते में जमा करा दी जाएगी।

इथेनोल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम (ईबीपी कार्यक्रम)

इथेनोल कृषि आधारित उत्‍पाद है, जिसका उत्पादन मुख्यतः चीनी उद्योग के सह-उत्पाद नामत: शीरे से किया जाता है। गन्ने के अधिशेष उत्‍पादन वाले वर्षों में, जब चीनी की कीमतें काफी कम हो जाती हैं तो चीनी उद्योग किसानों के गन्‍ने की कीमत का समय पर भुगतान करने में असमर्थ हो जाता है। इथेनोल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम का उद्देश्य प्रदूषण को कम करने के लिए मोटर स्पिरिट के साथ इथेनोल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को प्राप्त करना, विदेशी मुद्रा की बचत करना और चीनी उद्योग में मूल्य वर्धन में वृद्धि करना है ताकि वे किसानों को गन्‍ना मूल्‍य की बकाया राशि का भुगतान कर सकें।

केन्द्रीय सरकार ने इथेनोल मिश्रित कार्यक्रम (ईबीपी) के अंतर्गत ब्लेंडिंग का लक्ष्य 5% से बढ़ाकर 10% कर दिया है। समस्त इथेनोल आपूर्ति श्रृंखला को सुप्रवाही बनाने के लिए इथेनोल मिश्रित कार्यक्रम के अंतर्गत इथेनोल की खरीद प्रक्रिया को सरल बनाया गया है और इथेनोल का लाभकारी डिपो-द्वार मूल्य निर्धारित किया गया है। नए ब्लेंडिंग लक्ष्य को प्राप्त करना सुगम बनाने के लिए डिस्टिलरियों को ओएमसी डिपुओं से जोड़ने वाली एक "ग्रिड” तैयार की गई है और आपूर्ति की जाने वाली मात्रा का ब्यौरा तैयार किया गया है। दूरी, क्षमता तथा अन्य क्षेत्रवार मांगों को ध्यान में रखते हुए राज्यवार मांग प्रोफाईल का भी अनुमान लगाया गया है। चीनी मिलों द्वारा इथेनोल ब्लेंडिंग कार्यक्रम हेतु तेल विपणन कम्पनियों को वर्ष 2015-16 (10 अगस्‍त, 2016 तक) के दौरान आपूर्ति किए जाने वाले इथेनोल पर उत्पाद शुल्क भी माफ कर दिया गया है।

परिणाम बहुत ही उत्‍साहजनक रहे हैं तथा सप्‍लाई प्रतिवर्ष दोगुनी हो गई है। वर्ष 2013-14 में, ब्‍लेंडिंग हेतु केवल 38 करोड़ लीटर इथेनोल की आपूर्ति की गई थी, जबकि 2014-15 में संशोधित ईबीपी के तहत आपूर्ति बढ़कर 67 करोड़ लीटर हो गई है। इथेनोल मौसम 2015-16 में इथेनोल आपूर्ति ऐतिहासिक रूप से अधिक रही है तथा यह बढ़कर 111 करोड़ के पार हो गई है तथा इसने 4.2 प्रतिशत का ब्‍लेंडिग लक्ष्‍य प्राप्‍त कर लिया है। इथेनोल मौसम 2016-17 में, दिए गए 80 करोड़ लीटर के ठेके में से लगभग 66.51 करोड़ लीटर की आपूर्ति कर दी गई है।

इसके अलावा, इथेनोल मौसम 2017-18 में 164 करोड़ लीटर की आपूर्ति के लिए करार पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिनमें से 147 करोड़ लीटर अब तक आपूर्ति की जा चुकी हैं।

इथेनोल ब्लेंडिंग पेट्रोल कार्यक्रम के अंतर्गत इथेनोल की आपूर्ति बढ़ाने हेतु ईथनॉल उत्पादन क्षमता के लिए उठाए गए कदम

इथनॉल के उत्‍पादन की क्षमता बढ़ाने तथा इस प्रकार इथनॉल के उत्‍पादन के लिए चीनी प्रयुक्त करने की अनुमति भी प्रदान करने के लिए नई डिस्‍टिलरियों की स्थापना/मौजूदा डिस्‍टिलरियों के विस्‍तार तथा इंसीनरेशन बॉयलर की स्थापना अथवा जीरो लिक्‍विड डिस्‍चार्ज के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अनुमोदित कोई अन्य विधि प्रयुक्त करने के लिए बैंकों के माध्‍यम से 6139 करोड़ रुपए का सरल ऋण प्रदान करने हेतु सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किया गया है, जिसके लिए सरकार 1332 करोड़ रुपए की ब्‍याज छूट वहन करेगी। इस उपाय के परिणामस्‍वरूप लगभग 114 चीनी मिलों को लाभ मिलने की संभावना है और आने वाले 3 वर्षों के दौरान देश में चीनी मिलों की ईथनॉल उत्‍पादन क्षमता 200 करोड़ लीटर प्रति वर्ष बढ़ने की संभावना है।

इसके अतिरिक्‍त, चीनी क्षेत्र को सहायता प्रदान करने और गन्‍ना किसानों के हित को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने सी-हेवी से व्‍युत्‍पन्‍न इथनॉल का मिल-द्वार पर लाभकारी मूल्‍य 43.46 रुपए प्रति लीटर की दर से निर्धारित किया है। पहली बार सरकार ने बी-हेवी शीरे से व्‍युत्‍पन्‍न इथनॉल का मिल-द्वार मूल्‍य भी 52.43 रुपए प्रति लीटर निर्धारित किया है और जो मिलें चीनी का उत्‍पादन न करते हुए इथनॉल के उत्‍पादन के लिए 100 प्रतिशत गन्‍ने के रस का उपयोग करेंगी और चीनी का उत्पादन नहीं करेंगी, उनके लिए 59.13 रुपए प्रति लीटर निर्धारित किया है। इससे चीनी मिलों की नकदी की स्‍थिति में सुधार होगा जिससे वे किसानों का बकाया मूल्‍य चुकाने में समर्थ होंगी।

अंत्‍योदय अन्‍न योजना (एएवाई) परिवारों के लिए पीडीएस के माध्यम से चीनी के वितरण हेतु मौजूदा प्रणाली की समीक्षा

राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा राजसहायता प्राप्‍त मूल्‍यों पर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के माध्यम से चीनी वितरित की जा रही थी जिसके लिए केंद्र सरकार उन्हें 18.50 रुपये प्रति किलोग्राम प्रतिपूर्ति कर रही थी। इस स्‍कीम में 2001 की जनगणना के अनुसार देश की गरीबी रेखा से नीचे की सम्‍पूर्ण आबादी तथा पूर्वोत्‍तर राज्‍यों/विशेष श्रेणी/पहाड़ी राज्‍यों और द्वीप-समूहों की समस्‍त आबादी कवर की जा रही थी। अब सभी 36 राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 का सर्वसुलभ रूप से क्रियान्‍वयन किया जा रहा है। एनएफएसए के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे की कोई पहचान श्रेणी नहीं की जाती है; तथापि, अंत्‍योदय अन्‍न योजना के लाभार्थियों की स्‍पष्‍ट रूप से पहचान की जाती है। भारत सरकार ने चीनी राजसहायता स्‍कीम की समीक्षा की है और समाज के निर्धनतम वर्ग अर्थात् अंत्‍योदय अन्‍न योजना के परिवारों के लिए आहार में ऊर्जा के स्रोत के रूप में चीनी की खपत तक पहुंच देने का निर्णय लिया है। तदनुसार, केन्‍द्रीय सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए चीनी वितरण की मौजूदा प्रणाली निम्‍नानुसार जारी रखी जाए:-

(i)सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए चीनी वितरण की मौजूदा प्रणाली अंत्‍योदय अन्‍न योजना के परिवारों के सीमित कवरेज के लिए जारी रखी जाए। प्रत्‍येक अंत्‍योदय अन्‍न योजना के परिवार को एक किलोग्राम चीनी प्रदान की जाए।

(ii)अंत्‍योदय अन्‍न योजना की आबादी के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए चीनी वितरण करने हेतु केंद्रीय सरकार द्वारा राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों को 18.50 रूपये प्रति किलोग्राम की दर पर वर्तमान स्‍तर की राजसहायता जारी रखी जाए। राज्‍य/संघ राज्‍य क्षेत्र परिवहन, हैंडलिंग और डीलर के कमीशन आदि पर आने वाले अतिरिक्‍त व्‍यय को लाभार्थियों के लिए 13.50 रूपये प्रति किलोग्राम के खुदरा निर्गम मूल्‍य से ऊपर उन पर डाल सकते हैं अथवा स्‍वयं वहन कर सकते हैं।

(iii) संशोधित स्कीम में 14 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र भाग ले रहे हैं और वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान छह और राज्यों द्वारा इसमें भाग लेने की संभावना है।

आयात शुल्‍क में वृद्धि

चीनी के किसी अनावश्‍यक आयात को रोकने तथा घरेलू मूल्‍य को व्‍यवहारिक स्‍तर पर स्‍थिर बनाए रखने के लिए, केंद्र सरकार ने किसानों के हित में 06.02.2018 से चीनी के आयात पर आयात शुल्‍क को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया है।

चीनी के निर्यात पर सीमा शुल्क वापस लेना

राजस्‍व विभाग की दिनांक 16.06.2016 की अधिसूचना सं. 37/2016 द्वारा चीनी के निर्यात पर 20 प्रतिशत की दर पर सीमा शुल्‍क लगाया गया था। चीनी के उत्‍पादन, स्‍टॉक स्‍थिति तथा बाजार मूल्‍य रुझानों को ध्‍यान में रखते हुए, भारत सरकार ने दिनांक 20.03.2018 की अधिसूचना सं. 30/2018 के तहत चीनी के निर्यात पर सीमा शुल्‍क वापस ले लिया है।

डा. रंगराजन समिति की सिफारिशों का कार्यान्‍वयन

मुद्दे

सिफारिशों का सार

स्‍थिति

गन्‍ना क्षेत्र का आरक्षण

कुछ समय बाद राज्‍यों को बाजार आधारित दीर्घावधिक संविदात्‍मक व्‍यवस्‍थाओं के विकास को प्रोत्‍साहित करना चाहिए और गन्‍ना आरक्षण क्षेत्र तथा बॉंडिंग को समाप्‍त करना चाहिए। इस बीच वर्तमान प्रणाली जारी रखी जा सकती हे।

राज्‍यों से इन सिफारिशों, जिन्‍हे वे उचित समझें, को कार्यान्‍वित करने पर विचार करने का अनुरोध किया गया है। अब तक, किसी राज्य ने कोई कार्रवाई नहीं की है, अतः मौजूदा व्यवस्था जारी है। महाराष्‍ट्र में क्षेत्र का कोई आरक्षण नहीं है।

न्‍यूनतम दूरी मानदण्‍ड

यह गन्‍ना किसानों अथवा चीनी क्षेत्र के विकास के हित में नहीं है तथा गन्‍ना आरक्षण क्षेत्र एवं बॉंडिंग को समापन किए जाने के साथ-साथ इसे भी समाप्त कर दिया जाए।

राज्‍यों से इन सिफारिशों, जिन्‍हे वे उचित समझें, को कार्यान्‍वित करने पर विचार करने का अनुरोध किया गया है। अब तक, किसी राज्य ने कोई कार्रवाई नहीं की है, अतः मौजूदा व्यवस्था जारी है।

गन्‍ना मूल्‍य राजस्‍व साझेदारी

उप उत्‍पादों (शीरा तथा खोई/सह-उत्‍पादन) के लिए उपलब्‍ध आंकड़ों के विश्‍लेषण के आधार पर राजस्‍व साझेदारी अनुपात एक्‍स-मिल चीनी मूल्‍य का लगभग 75 प्रतिशत आंकलित किया गया है।

राज्‍यों से इन सिफारिशों, जिन्‍हे वे उचित समझें, को कार्यान्‍वित करने पर विचार करने का अनुरोध किया गया है। अब तक केवल कर्नाटक और महाराष्ट्र ने इस सिफारिश को लागू करने के लिए राज्य अधिनियम पारित किया है।

लेवी चीनी

लेवी चीनी को समाप्‍त किया जाए। जो राज्‍य पीडीएस के अंतर्गत चीनी उपलब्‍ध कराना चाहते हैं वे अब से अपनी आवश्‍यकतानुसार चीनी सीधे बाजार से खरीदें और निर्गम मूल्‍य भी स्‍वयं तय करें। तथापि, चूंकि वर्तमान में लेवी के कारण एक अंतर्निहित क्रास-सब्‍सिडी है, इस संबंध में व्‍यय की गई लागत को पूरा करने के लिए संक्रमण अवधि हेतु राज्‍यों को कुछ हद तक केंद्रीय सहायता दी जा सकती है।

केंद्रीय सरकार ने 1अक्‍टूबर 2012 से उत्पादित चीनी से लेवी समाप्त कर दी है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रचालनों के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा खरीद खुले बाजार से की जा रही है और सरकार ए.ए.वाई परिवारों के सीमित कवरेज हेतु चीनी उपलब्‍ध कराने के लिए 18.50 रूपये प्रति कि.ग्रा. की निश्‍चित सब्‍सिडी दे रही है जिन्‍हें प्रति परिवार, प्रति माह 1 कि.ग्रा. चीनी उपलब्‍ध करायी जाएगी। .

विनियमित रिलीज व्‍यवस्‍था

यह व्‍यवस्‍था किसी भी उपयोगी उद्देश्‍य की पूर्ति नहीं कर रही है, तथा इसे समाप्‍त किया जा सकता हे।

रिलीज तंत्र समाप्‍त कर दिया गया है।

व्‍यापार नीति

समिति के अनुसार, चीनी संबंधी व्‍यापार नीतियां स्‍थिर होनी चाहिएं। उचित टैरिफ साधनों जैसे एक मध्‍यम निर्यात शुल्‍क, जो सामान्‍यत: मात्रात्‍मक प्रतिबंधों के विपरीत 5 फीसदी से अधिक नहीं हो, का प्रयोग चीनी की घरेलू आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए आर्थिक रूप से कुशल पद्धति से किया जाना चाहिए।

चीनी का आयात और निर्यात किसी मात्रात्‍मक प्रतिबंध के बिना मुक्त है परंतु यह सीमा शुल्‍क की विद्यमान दर के अध्‍यधीन है। आयात शुल्‍क को 29.04.2015 से 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत तथा 10.07.2017 से 50 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसे अब 06.02.2018 से और बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया है। चीनी के उत्‍पादन, स्‍टॉक स्‍थिति तथा बाजार मूल्‍य रुझानों को ध्‍यान में रखते हुए, भारत सरकार ने दिनांक 20.03.2018 की अधिसूचना सं. 30/2018 के तहत चीनी के निर्यात पर सीमा शुल्‍क वापस ले लिया गया है।

सह-उत्‍पाद

शीरा और इथेनॉल जैसे सह-उत्‍पादों पर कोई मात्रात्‍मक या संचलनात्‍मक प्रतिबंध नहीं होने चाहिए। उप-उत्‍पादों की कीमतें बाजार द्वारा तय हों जिसमें कोई निर्धारित अंतिम-उपयोग आवंटन न हो। चीनी मिलों द्वारा किसी भी उपभोक्‍ता को अपने अधिशेष बेचने से रोकने वाली कोई विनियामक बाधा न हो।

पेय अल्कोहल/शराब पर उत्पाद शुल्क राज्य सरकारों के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। एथेनोल के संचलन पर राज्‍य सरकारों द्वारा प्रतिबंध और इस पर कर एवं शुल्क लगाना इथेनोल ब्लेंडिंग कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन में एक बाधा बनी हुई है। औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग ने वर्ष 2016 की अधिसूचना सं. 27 दिनांक 14.05.2016 द्वारा आई (डी एंड आर) अधिनियम, 1951 में अब संशोधन कर दिया है। इस संशोधन से राज्य केवल मानवीय उपभोग के लिए आशयित शराब के बारे में कानून बना सकते हैं, नियंत्रण कर सकते है और/अथवा कर एवं शुल्क लगा सकते हैं। इसे छोडकर अर्थात डि-नेचर्ड इथेनोल, जो मानवीय उपभोग के लिए नहीं होता है, पर नियंत्रण केवल केन्द्र सरकार द्वारा किया जाएगा। आई (डी एंड आर) अधिनियम, 1951 में संशोधन से ईंधन ग्रेड के इथेनोल का संचलन न केवल सुचारू होगा, बल्कि यह उद्योग एथेनोल के अधिक उत्पादन हेतु प्रोत्साहित होगा, जिससे पेट्रोल के साथ ब्लेंडिंग के प्रतिशत में वृद्धि होगी।

अनिवार्य जूट पैकेजिंग

समाप्‍त किया जाए।

जूट की बोरियों में चीनी की अनिवार्य पैकेजिंग में और छूट दी गई है और उत्‍पादन के केवल 20 प्रतिशत की पैकेजिंग अनिवार्यत: जूट की बोरियों में की जानी है।