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खाद्य तेल अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं

दो प्रमुख विशेषताएं हैं, जिनका इस क्षेत्र के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है। पहला था वर्ष 1986 में तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन का गठन, जिसे वर्ष 2014 में राष्ट्रीय तिलहन और ऑयल पाम मिशन (एनएमओओपी) में परिवर्तित कर दिया गया था। इससे तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयासों को बल मिला था। यह तिलहनों के उत्पादन में हुई उल्लेखनीय वृद्धि से स्पष्ट है, जो वर्ष 1986-87 में लगभग 11.3 टन से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 26.68 टन हो गया है। अधिकांश तिलहनों की खेती सीमांत भूमि पर की जाती है और यह वर्ष तथा अन्य जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर रहती है। अन्य महत्वपूर्ण विशेषता, जिसका उल्लेखनीय प्रभाव खाद्य तिलहनों/तेल उद्योग पर पड़ा है, वह है उदारीकरण कार्यक्रम, जिसके अंतर्गत सरकार की आर्थिक निटोई आती है, जिसमें खुले बाजार को अधिक स्वतन्त्रता दी गई है और संरक्षण तथा नियंत्रण के स्थान पर स्वस्थ प्रतियोगिता और स्व-विनियमन को प्रोत्साहित किया गया है। नियंत्रणों तथा विनियमन में ढील दी गई है, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों दोनों के वर्चस्व वाला अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक बाजार अस्तित्व में आया है।

नीति

i.)खाद्य तेलों की निर्यात-आयात नीति